उत्तर प्रदेश सरकार बायो जेट फ्यूल नीति के माध्यम से प्रदेश में विमान ईंधन के उत्पादन की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। इस पहल का उद्देश्य राज्य के किसानों को सीधे आर्थिक लाभ पहुंचाना है। सरकार की योजना है कि गन्ने की खोई, धान की भूसी, गेहूं का भूसा और अधिशेष अनाज से सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (एसएएफ) तैयार किया जाएगा। इसके लिए औद्योगिक इकाइयों की स्थापना की जाएगी, जिससे करीब 2.5 करोड़ किसानों को नए बाजार उपलब्ध होंगे।
हाल ही में लखनऊ के होटल ताज में आयोजित उच्चस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में इस विषय पर विस्तृत चर्चा की गई। सम्मेलन में “यूपी सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल विनिर्माण प्रोत्साहन नीति-2025” प्रस्तुत की गई, जिस पर निवेशकों, उद्योग विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने विचार साझा किए। इस नीति के तहत हरित ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की रणनीति बनाई गई है।
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बैठक की अध्यक्षता मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने की। उन्होंने बताया कि यह देश की पहली ऐसी नीति होगी जो एसएएफ के लिए विशेष रूप से बनाई गई है। इसमें निवेशकों के लिए कई प्रोत्साहन और सुविधाएं रखी गई हैं। भूमि की उपलब्धता, बेहतर आधारभूत ढांचा और उद्यमिता को बढ़ावा देने वाली नीतियों से यूपी को इस क्षेत्र में प्रमुख उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।

प्रस्तावित नीति में सबसे बड़ा लाभ किसानों को मिलने वाला है। जब इन इकाइयों की स्थापना होगी, तो इन्हें कच्चे माल के रूप में बड़ी मात्रा में कृषि अवशेषों की आवश्यकता होगी। इससे किसानों को परंपरागत फसलों के अलावा भूसा, खोई और अधिशेष अनाज बेचने का अवसर मिलेगा। इससे उनकी आमदनी में बढ़ोत्तरी होगी और बिचौलियों की भूमिका भी सीमित होगी।
इसके अलावा, नीति के तहत स्थानीय स्तर पर ही कृषि अवशेषों की प्रोसेसिंग और संग्रहण की सुविधा विकसित की जाएगी। इससे लॉजिस्टिक्स की लागत भी घटेगी और ग्रामीण स्तर पर रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। सरकार का लक्ष्य है कि बायो जेट फ्यूल उत्पादन के क्षेत्र में यूपी अग्रणी राज्य बने और इससे पर्यावरण को भी लाभ पहुंचे।
मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि यह नीति किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ ही हरित विकास की ओर एक ठोस कदम है। सम्मेलन में इन्वेस्ट यूपी की ओर से राज्य में इस नीति के क्रियान्वयन के लिए विस्तृत प्रस्तुति दी गई। नीति को अंतिम रूप देने से पहले निवेशकों के सुझावों को भी शामिल किया जाएगा।
साफ है कि यदि यह योजना सफल होती है, तो यूपी को हरित ईंधन उत्पादन के क्षेत्र में नई पहचान मिलेगी और किसानों की आय में क्रांतिकारी बढ़ोत्तरी संभव होगी। इस नीति से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी और हरित विकास की दिशा में ठोस पहल होगी।
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