नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने आम लोगों को बड़ी राहत देते हुए रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का फैसला किया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को तीन दिन चली बैठक के बाद यह जानकारी दी। रेपो रेट जस की तस रहने से मौजूदा समय में होम, ऑटो और पर्सनल लोन की ईएमआई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अनुकूल मानसून, नियंत्रित मुद्रास्फीति और मौद्रिक नरमी के कारण आर्थिक वृद्धि की संभावना मजबूत बनी हुई है। एमपीसी ने नीतिगत दर को यथावत रखते हुए मौद्रिक नीति के रुख को भी ‘तटस्थ’ (Neutral) बनाए रखने का निर्णय लिया है।
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संजय मल्होत्रा ने बैठक के नतीजों का एलान करते हुए कहा कि जीएसटी को युक्तिसंगत बनाना महंगाई पर असर डालेगा और इससे उपभोग व विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घरेलू आर्थिक गतिविधियां गतिशील बनी रहेंगी। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि टैरिफ से जुड़े मुद्दों के चलते वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में विकास दर पर दबाव बन सकता है।

गवर्नर ने यह भी बताया कि मजबूत रेमिटेंस (विदेश से आने वाला धन) और सुधारों की दिशा में उठाए गए कदमों से चालू खाता घाटा नियंत्रण में रहेगा। साथ ही, उन्होंने भरोसा जताया कि बाहरी आर्थिक दबावों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था विकास की रफ्तार बनाए रखेगी।
रेपो रेट स्थिर रहने से जहां बैंकों से लिए गए मौजूदा कर्जदारों को राहत मिलेगी, वहीं निवेशकों और उद्योग जगत को उम्मीद है कि इससे उपभोग और पूंजी निवेश में तेजी आएगी।
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