आज 27 सितंबर, 2025 है, आज नवरात्रि का छठा दिन है। नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। इन्हें शक्ति और साहस की देवी माना जाता है।

श्लोक (Mantra)
माँ कात्यायनी का श्लोक इस प्रकार है:
“चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥”
श्लोक का अर्थ
चन्द्रहासोज्जवलकरा: जिनके हाथों में चन्द्रहास (एक प्रकार की तलवार) की तरह उज्ज्वल (चमकदार) शस्त्र है। शार्दूलवरवाहना: जो श्रेष्ठ सिंह (शार्दूल) पर विराजमान हैं। कात्यायनी शुभं दद्याद्: वे माँ कात्यायनी हमें शुभ प्रदान करें। देवी दानवघातिनी: जो दानवों (राक्षसों) का नाश करने वाली देवी हैं।
समग्र अर्थ
“जिनके हाथों में चंद्रहास नामक तलवार चमकती है और जो श्रेष्ठ सिंह पर विराजमान हैं, दानवों का नाश करने वाली वे देवी कात्यायनी हमें शुभ फल प्रदान करें।”
पूजन विधि और आज्ञा चक्र (Agya Chakra)
माँ कात्यायनी की पूजा पीले रंग के वस्त्र पहनकर करना शुभ माना जाता है। इस दिन साधक का ध्यान आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra) पर केंद्रित होता है।
आज्ञा चक्र का महत्व (Significance of Agya Chakra)
- स्थान: यह भौंहों के बीच (माथे के केंद्र में) स्थित होता है।
- जागृति: योग और ध्यान की प्रक्रिया में जब साधक का ध्यान इस चक्र पर स्थिर होता है, तो उसे माँ कात्यायनी की कृपा से आध्यात्मिक ज्ञान, अंतर्ज्ञान (Intuition), और दूरदर्शिता की प्राप्ति होती है।
- प्रभाव: यह चक्र मन को शांत करने, एकाग्रता बढ़ाने और निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत करने में सहायक है। माँ कात्यायनी की आराधना से इस चक्र की ऊर्जा शुद्ध और जागृत होती है।
पूजन विधि (Puja Ritual) - संकल्प: सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा का संकल्प लें।
- स्थापना: माँ कात्यायनी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- पूजा: उन्हें पीले रंग के फूल अर्पित करें, धूप-दीप जलाएं।
- भोग: इस दिन माँ को शहद (Honey) का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- ध्यान: उपरोक्त श्लोक का कम से कम 108 बार जाप करें, और अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर केंद्रित करें।
