भारत की सख्ती से पाकिस्तान बेहाल है और इसका असर वाघा बॉर्डर पर फंसे पाकिस्तानी नागरिकों पर साफ़ दिखाई दे रहा है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तानियों के वीजा रद्द कर दिए और उन्हें 30 अप्रैल तक देश छोड़ने का आदेश दिया। इससे दर्जनों पाकिस्तानी नागरिक वाघा बॉर्डर पर फंस गए।
गुरुवार को अटारी-वाघा बॉर्डर बंद रहा, लेकिन करीब 70 पाकिस्तानी नागरिक वहां मौजूद रहे जिन्हें उनके देश में वापसी की अनुमति नहीं मिल सकी थी। इसके बाद पाकिस्तान सरकार ने दबाव में आकर ऐलान किया कि वह अपने नागरिकों को वापस लेने को तैयार है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उन्हें मीडिया रिपोर्ट्स से बॉर्डर पर फंसे पाकिस्तानी नागरिकों की जानकारी मिली है और वे भारत से आग्रह करते हैं कि इन लोगों को सीमा पार करने की अनुमति दी जाए।
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भारत के इस कदम के पीछे सुरक्षा कारण हैं। आतंकी घटनाओं के बाद भारत सरकार ने सख्ती दिखाई और पाकिस्तानियों के लिए वीजा नीति में बदलाव कर दिया। इसमें मेडिकल वीजा पर आए नागरिकों को 29 अप्रैल तक वापस जाने की सलाह दी गई थी, जबकि अन्य वीजा धारकों को 26 अप्रैल के बाद देश छोड़ना था।
पाकिस्तान सरकार ने भारत के इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे ‘गंभीर मानवीय संकट’ करार दिया। उनका दावा है कि इससे भारत में इलाज करा रहे कई पाकिस्तानी परिवार प्रभावित हुए हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि भारत की सख्ती के जवाब में पाकिस्तान ने भी वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया और भारतीय नागरिकों को दिए गए सार्क वीजा को रद्द कर दिया। हालांकि बाद में पाकिस्तान ने वाघा बॉर्डर भविष्य में भी खुला रखने की बात कही है।
विश्लेषकों का मानना है कि भारत के इस कदम से पाकिस्तान को कूटनीतिक और सामाजिक स्तर पर झटका लगा है। अब पाकिस्तान न केवल वीजा नीति पर पुनर्विचार करने को मजबूर हुआ है बल्कि फंसे नागरिकों को खुद वापस बुला रहा है। यह घटनाक्रम भारत की बदली रणनीति और सुरक्षा प्राथमिकताओं को दर्शाता है।