June 17, 2025

Judge Cash Kaand: SC ने जारी किया अधजले नोटों का वीडियो, जस्टिस यशवंत वर्मा ने खोला मुंह, जानें कहां से आया खजाना

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले से जले हुए नोटों के बंडल मिलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है। इस रिपोर्ट में कैश का वीडियो और तीन तस्वीरें भी शामिल हैं, जिनमें 500 रुपये के अधजले नोटों के बंडल नजर आ रहे हैं।

14 मार्च की रात दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस वर्मा के बंगले में आग लगने के बाद फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची थी। आग बुझाने के बाद 4-5 अधजली बोरियां बरामद हुईं, जिनमें बड़ी मात्रा में नकदी थी। इस घटना के बाद पूरे न्यायिक तंत्र में हड़कंप मच गया।

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जस्टिस वर्मा ने अपनी सफाई में कहा कि जिस स्टोर रूम से जले हुए नोट मिले, वहां उन्होंने या उनके परिवार ने कभी पैसा नहीं रखा। वह कमरा खुला रहता था और वहां किसी का भी आना-जाना संभव था। उन्होंने इसे अपने खिलाफ साजिश करार दिया और कहा कि इससे उनकी छवि धूमिल करने की कोशिश हो रही है।

  1. घर के परिसर में इतनी बड़ी मात्रा में नकदी कैसे आई?
  2. नकदी का स्रोत क्या था?
  3. 15 मार्च की सुबह जले हुए नोटों को कमरे से किसने हटाया?
  1. जस्टिस वर्मा के घर तैनात सुरक्षा अधिकारियों और गार्ड की पूरी जानकारी दी जाए।
  2. जस्टिस वर्मा की पिछले छह महीने की कॉल डिटेल्स की जांच हो।
  3. जस्टिस वर्मा अपने मोबाइल से कोई डेटा या मैसेज डिलीट न करें।
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दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने 21 और 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में बताया गया कि जिस स्टोर रूम में आग लगी, वह आमतौर पर बंद रहता था। वहां बाहरी व्यक्ति के प्रवेश की संभावना बहुत कम थी। उन्होंने मामले की गहराई से जांच की सिफारिश की।

दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, 14 मार्च की रात 11:45 बजे जस्टिस वर्मा के बंगले में आग लगने की सूचना मिली। दमकल की दो गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और आग पर काबू पाया। इस दौरान अधजली बोरियों में नोट मिले। पुलिस ने इस मामले को गंभीर मानते हुए विस्तृत जांच शुरू कर दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जस्टिस वर्मा को कोई भी न्यायिक कार्य देने से रोक दिया है। उनके खिलाफ तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है। साथ ही, उनकी कॉल डिटेल्स और अन्य डिजिटल सबूतों की जांच की जाएगी।

यह पहला मौका नहीं है जब जस्टिस वर्मा विवादों में घिरे हैं। 2018 में गाजियाबाद की सिम्भावली शुगर मिल घोटाले में भी उनका नाम आया था। इस मामले में 97.85 करोड़ रुपये के गबन का आरोप था, जिसकी जांच CBI ने की थी। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह जांच बंद कर दी गई थी।

इस मामले को लेकर राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने इसे न्यायिक जवाबदेही से जोड़ते हुए राज्यसभा में उठाया। वहीं, भाजपा नेता अमित मालवीय ने इसे यूपी सरकार से जोड़ते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर सवाल उठाए।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। अब जस्टिस वर्मा के कॉल रिकॉर्ड, सुरक्षा गार्ड के बयान और अन्य सबूतों की जांच के बाद ही साफ होगा कि यह मामला साजिश है या कोई बड़ा घोटाला।

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