सिम कार्ड का एक हिस्सा हमेशा कटा हुआ दिखता है। सिम कार्ड कोना विशेष रूप से इस तरह डिज़ाइन किया जाता है ताकि उपयोगकर्ता इसे सही दिशा में ही फोन में लगा सकें। मोबाइल तकनीक के मानकों में यह डिज़ाइन विश्वभर में अपनाया जाता है, जिससे गलत फिटिंग और तकनीकी नुकसान की संभावना कम होती है।
दरअसल, अलग-अलग कंपनियों और मॉडलों में सिम स्लॉट की दिशा अलग हो सकती है। ऐसे में सिम कार्ड कोना उपयोगकर्ता को संकेत देता है कि कौन-सा हिस्सा ऊपर या दाईं तरफ रहेगा। इससे सिम लगाने में समय कम लगता है और फोन के स्लॉट को नुकसान नहीं होता।
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सिम के कटे कोने का दूसरा कारण सुरक्षा है। अगर सिम सभी तरफ से एकसमान होता, तो उसके गलत तरीके से फंसने या पिंस टूटने का खतरा बढ़ जाता। कटे कोने की वजह से यह रिस्क काफी हद तक खत्म हो जाता है। साथ ही, मोबाइल निर्माताओं को सिम रीडर बनाते समय भी एक समान मानक मिल जाता है। यह पूरी प्रक्रिया मोबाइल इंडस्ट्री के “यूनिवर्सल फॉर्म फैक्टर” मानकों का हिस्सा है।

इसके अलावा सिम कार्ड का यह डिज़ाइन उत्पादन प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बड़े प्लास्टिक शीट से माइक्रो, नैनो या मिनी सिम काटते समय कोने की कटिंग मशीनों को एक स्पष्ट पहचान बिंदु देती है। इसी कारण विश्वभर में हर प्रकार की सिम — चाहे मिनी हो, माइक्रो हो या नैनो — सभी में यह कट एक जैसा होता है।
तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार, यह कट सिम और फोन दोनों की आयु बढ़ाता है। चूंकि सिम कार्ड के गोल्डन चिप पर हल्का भी दबाव गलत दिशा में पड़ने से खराबी आ सकती है, इसलिए कटे कोने की उपस्थिति पूरी प्रक्रिया को स्थिर और सुरक्षित बनाती है। यह उपयोगकर्ता अनुभव को आसान करते हुए फोन की संचार क्षमता को सुरक्षित करता है।
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