लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर शुक्रवार को प्रदेशभर के बिजली कर्मचारियों ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण तथा लेसा में वर्टिकल प्रणाली लागू कर 8000 पद समाप्त किए जाने के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया। राजधानी लखनऊ से लेकर वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर और नोएडा तक बिजली कर्मियों ने दफ्तरों के बाहर नारेबाजी कर अपना विरोध दर्ज कराया।
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि वर्टिकल प्रणाली केवल निजीकरण की तैयारी है, जिसके जरिए निजी कंपनियों के लिए रास्ता साफ किया जा रहा है। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि इस व्यवस्था के तहत राजधानी लखनऊ में टीजी-2 के 1350, जूनियर इंजीनियर के 287 और अभियंताओं के 45 पद समाप्त किए जा रहे हैं, जिससे बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर संकट मंडरा रहा है।
समिति ने कहा कि लेसा में लगभग 6000 संविदा कर्मियों को हटाया जा रहा है, जिससे न केवल कर्मचारियों में भय व्याप्त है, बल्कि शहर की बिजली व्यवस्था भी प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि यह कदम अमानवीय है और इससे दीपावली जैसे पर्व पर उपभोक्ताओं को निर्बाध आपूर्ति देने में दिक्कत आ सकती है।

संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि यह विरोध केवल राजधानी तक सीमित नहीं रहेगा। प्रदेश के सभी जनपदों में आज बिजली कर्मियों ने निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया और ऐलान किया कि यदि सरकार ने यह निर्णय वापस नहीं लिया तो सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरू किया जाएगा।
लखनऊ के साथ ही वाराणसी, मेरठ, मथुरा, बरेली, गाजियाबाद, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, सहारनपुर, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर और अयोध्या समेत कई जिलों में विरोध प्रदर्शन हुआ।
सभा के अंत में उपस्थित कर्मचारियों ने वरिष्ठ बिजली मजदूर नेता गिरीश पांडे की धर्मपत्नी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
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