नई दिल्ली: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की दुनिया में जहां एक ओर नवाचार तेज़ी से हो रहे हैं, वहीं इसके दुरुपयोग को लेकर नैतिक बहस भी छिड़ गई है। एआई ब्राउज़र कॉमेट (Comet) बनाने वाली कंपनी पेर्प्लेक्सिटी (Perplexity) के सीईओ अरविंद श्रीनिवास ने हाल ही में अपने ब्राउज़र के अनैतिक उपयोग के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की है। यह मामला तब प्रकाश में आया जब कॉमेट एआई ने यूज़र के लिए एक ऑनलाइन कोर्स को स्वयं ही पूरा कर लिया।
ऑनलाइन कोर्स ऑटो-कंप्लीट का विवाद
यह विवाद तब शुरू हुआ जब भारतीय वेब डेवलपर अमृत निगम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर एक वीडियो साझा किया। इस वीडियो में उन्होंने दिखाया कि कॉमेट एआई ने उनके लिए कोर्सेरा का “AI Ethics, Responsibility and Creativity” (एआई नैतिकता, जिम्मेदारी और रचनात्मकता) नामक ऑनलाइन कोर्स को खुद ही सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। निगम ने कैप्शन में लिखा, “बस अपना कोर्स पूरा कर लिया,” और इसमें श्रीनिवास और पेर्प्लेक्सिटी को टैग किया।

इस पर श्रीनिवास ने तुरंत और स्पष्ट प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “बिल्कुल भी ऐसा मत करें।” उनका यह तीखा जवाब तुरंत वायरल हो गया और ऑनलाइन मंचों पर बहस का केंद्र बन गया।
नैतिकता बनाम तकनीक की सीमा

इस घटना ने एआई टूल्स के उपयोग में नैतिकता और जिम्मेदारी की सीमा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कई इंटरनेट यूज़र्स ने श्रीनिवास के जवाब पर सहमति जताई और कहा कि अगर पेर्प्लेक्सिटी ने इस तरह के दुरुपयोग को रोकने के लिए उपाय नहीं किए, तो लोग लगातार इसका गलत इस्तेमाल करेंगे। लोगों का तर्क है कि किसी कोर्स में नामांकन लेने का मूल उद्देश्य छात्र का स्वयं सीखना और ज्ञान प्राप्त करना होता है, न कि एआई की मदद से केवल सर्टिफिकेट हासिल करना।
हालांकि, कुछ लोग यह भी मानते हैं कि छात्र अक्सर साप्ताहिक क्विज़, असाइनमेंट और साधारण कामों को पूरा करने के लिए कॉमेट जैसे एआई उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं। यह प्रवृत्ति दिखाती है कि एआई शिक्षा और मूल्यांकन की पारंपरिक प्रणालियों को कैसे चुनौती दे रहा है। जानकारों का मत है कि ऐसे शक्तिशाली प्लेटफॉर्म पर उपयोग के नियम और गाइडलाइन्स साफ होने चाहिए ताकि तकनीक का सही और सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित हो सके।
कॉमेट एआई की क्षमता और पुराना विवाद
जुलाई में लॉन्च हुआ कॉमेट एआई ब्राउज़र, ब्राउज़िंग को अधिक स्मार्ट और इंटरैक्टिव बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अक्तूबर से यह सभी के लिए मुफ्त उपलब्ध हो गया। यह ब्राउज़र वेब पेजों का सारांश पढ़ने, शोध करने, ईमेल लिखने, फॉर्म भरने और यहां तक कि होटल बुकिंग जैसे जटिल कार्य भी आसानी से कर सकता है। यह उपयोगकर्ताओं की ब्राउज़िंग आदतों और टैब को याद रखता है, जिससे एक व्यक्तिगत और सुविधाजनक अनुभव मिलता है। यह फिलहाल विंडोज और मैकओएस पर उपलब्ध है, और जल्द ही मोबाइल वर्ज़न में वॉइस कमांड की सुविधा आने वाली है।

दिलचस्प बात यह है कि कॉमेट पहले भी चर्चा में रहा है। एक रेडिट यूज़र ने बताया था कि कॉमेट ने स्वतः ही ज़ेरोधा पर स्टॉक ट्रेड किया और आईपीओ (IPO) के लिए आवेदन भी कर दिया था। उस समय श्रीनिवास ने इसे “कॉमेट का सबसे रोमांचक फीचर” बताया था, जिसके बाद उन्होंने कहा था, “एजेंट्स की दुनिया यहां है।” लेकिन इस बार की चेतावनी दर्शाती है कि कोर्स पूरा करने जैसे अकादमिक कार्यों में एआई का हस्तक्षेप उन्हें नैतिक सीमा के उल्लंघन के करीब लगा।
