November 13, 2025

अखिलेश का फेसबुक अकाउंट ब्लॉक-अनब्लॉक: संयोग या सियासी साजिश?


लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का आधिकारिक फेसबुक अकाउंट शुक्रवार शाम अचानक ब्लॉक होने से भारतीय राजनीति में भूचाल आ गया। 80 लाख से अधिक फॉलोअर्स वाले इस पेज के ठप होते ही सपा ने इसे केंद्र और राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की साजिश बताया, जबकि सरकारी सूत्रों ने इस कार्रवाई में किसी भी सरकारी हस्तक्षेप से इनकार किया है। हालांकि, शनिवार सुबह फेसबुक ने उनका पेज बहाल कर दिया।

ब्लॉक होने का कारण: फेसबुक की नीति या राजनीतिक दबाव

अखिलेश यादव का फेसबुक पेज शुक्रवार शाम करीब 6 बजे के आसपास ब्लॉक कर दिया गया था। सरकारी सूत्रों और मामले के जानकारों के अनुसार, यह कार्रवाई फेसबुक ने अपनी सामुदायिक नीतियों के तहत की थी। बताया गया कि प्लेटफॉर्म ने यह कदम एक ‘हिंसक और अश्लील पोस्ट’ को लेकर उठाया था। फेसबुक अपनी नीतियों के उल्लंघन पर पोस्ट हटाता है या गंभीर मामलों में पेज को सीमित या ब्लॉक कर देता है।

वहीं दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी ने इसे सीधे तौर पर राजनीतिक दबाव का नतीजा करार दिया। अखिलेश यादव का यह पेज अक्सर सरकार की नीतियों की आलोचना करने, पार्टी कार्यकर्ताओं से जुड़ने और सपा के कार्यक्रमों की जानकारी साझा करने के लिए एक प्रमुख माध्यम रहा है। ऐसे समय में, जब उत्तर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज़ हैं, पेज का ब्लॉक होना एक संयोग मात्र है या सुनियोजित राजनीतिक साजिश, यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।

सपा ने बताया ‘अघोषित इमरजेंसी’

इस घटना पर सपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। पार्टी प्रवक्ता खरुल हसन चांद ने आरोप लगाया कि “देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी का फेसबुक अकाउंट सस्पेंड करना लोकतंत्र पर हमला है।” उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने अघोषित इमरजेंसी लगा दी है, जहाँ हर विरोधी आवाज़ को दबाया जा रहा है। सपा ने यह स्पष्ट किया कि वे जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे, भले ही सोशल मीडिया पर उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की जाए। यह आरोप दिखाता है कि भारत में राजनीतिक दल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अभिव्यक्ति के माध्यम से अधिक, सत्ताधारी दलों के नियंत्रण में एक उपकरण के रूप में देखते हैं।

फेसबुक पेज बहाल, लेकिन सवाल बरकरार

अकाउंट ब्लॉक होते ही सपा की आईटी टीम तुरंत हरकत में आई और उन्होंने मेटा (Meta) और फेसबुक इंडिया टीम से संपर्क साधा। सूचना मिलने के बाद, फेसबुक ने शनिवार सुबह अखिलेश यादव के पेज को बहाल कर दिया। अकाउंट एक्टिव होते ही उनके पोस्ट और वीडियो फिर से दिखाई देने लगे।

हालांकि, पेज बहाल होने के बावजूद, यह घटना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की पारदर्शिता और राजनीतिक तटस्थता को लेकर बहस को जन्म देती है। चाहे यह फेसबुक की ऑटोमेटेड पॉलिसी के तहत हुई कार्रवाई हो या राजनीतिक शिकायत का नतीजा, इस घटना ने विरोधी दलों के बीच यह धारणा मजबूत की है कि डिजिटल माध्यमों को भी सरकारी दबाव या नियमों के बहाने विपक्ष की आवाज़ दबाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।


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