November 13, 2025

मुशायरा : बशीर बद्र साहब के कलाम

ATT ; Regional Desk ( Story Sent under 21aupat7 number) Poet Bashir Badr who is here to patticipae in the Indo Pak Mushaira to be held today in the city.

बशीर बद्र ने तकरीबन 40 साल तक मुशायरों की दुनिया में अपना लोहा मनवाया है। उनके दौर में कोई भी मुशायरा उनकी ग़ैर हाज़री से अधूरा होता था। रेख़्ता तो उन्हीं के नाम से जाना जाता रहा है। हालांकि इन दिनों उनकी तबीयत नासाज़ रहती है फिर भी उनके कलाम अभी भी दिल ख़ुश करने के लिए काफी है। पेश है उनका एक कलामः-

मुझ से बिछड़ के ख़ुश रहते हो
मेरी तरह तुम भी झूठे हो

इक दीवार पे चाँद टिका था
मैं ये समझा तुम बैठे हो

उजले उजले फूल खिले थे
बिल्कुल जैसे तुम हँसते हो

मुझ को शाम बता देती है
तुम कैसे कपड़े पहने हो

दिल का हाल पढ़ा चेहरे से
साहिल से लहरें गिनते हो

तुम तन्हा दुनिया से लड़ोगे
बच्चों सी बातें करते हो।

Related Post