नई दिल्ली: पहली अक्टूबर से शुरू हुए अमेरिकी वित्तीय वर्ष पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। देश में फंड की कमी से शटडाउन करना पड़ा। सरकार के इस कदम से तकरीबन 7,30 लाख कर्मचारी अपने वेतन से वंचित रह सकते हैं।
यह डोनाल्ड ट्रंप के लिए किसी बड़ी हार से काम नहीं है। हालिया घटनाक्रम उनके दूसरे कार्यकाल में हुआ पहले आर्थिक शटडाउन है।
हालांकि इसके पीछे ट्रंप की पार्टी ओबामा की नीतियों को जिम्मेदार ठहरा रही है। पर ऐसा तो लोकतंत्र में प्राय देखने को मिलता है करनी किसी की और भरनी किसी की। खुद को दुनिया का बादशाह समझने वाला अमेरिका अपने छोटे-छोटे खर्चों के लिए शटडाउन करने पर मजबूर हो जाता है। और वह भी अपने वित्तीय वर्ष के पहले दिन ही। ट्रंप यूं तो व्यापारी है ही उन्हें इस बात की भनक तक नहीं लगी की आने वाली 1 अक्टूबर को पूरे संघ में क्या होने वाला है? यह बात गले के नीचे नहीं उतरती। इतनी आसान में खड़े हुए खतरे को देखकर भी सरकार ने कोई ऐतिहासिक कदम नहीं उठाए जिससे स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा तक की सारी व्यवस्थाएं प्रभावित होने जा रही हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और महाशक्ति अमेरिका पर एक बार फिर से सरकारी शटडाउन का खतरा मंडरा रहा है। वित्तीय वर्ष की शुरुआत यानी पहली अक्टूबर से ही देश में फंडिंग की कमी के चलते संघीय सरकार का कामकाज आंशिक रूप से ठप हो गया है। छह साल बाद आए इस संकट के कारण लगभग 7.5 लाख संघीय कर्मचारी बिना वेतन के जबरन छुट्टी (Furlough) पर जाने को मजबूर हो सकते हैं।
यह घटनाक्रम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक बड़ी हार से कम नहीं है, क्योंकि यह उनके दूसरे कार्यकाल के दौरान का पहला बड़ा आर्थिक गतिरोध है।
गतिरोध का मुख्य कारण:
अमेरिका में सरकारी खर्चों के लिए फंड को मंजूरी देने वाला विधेयक सीनेट में पारित नहीं हो सका, जिसके चलते यह स्थिति पैदा हुई। राजनीतिक गतिरोध का मुख्य कारण स्वास्थ्य सेवाओं और कुछ घरेलू कार्यक्रमों पर खर्च को लेकर डेमोक्रेट्स और ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के बीच बड़ा टकराव है।
- डेमोक्रेट्स की मांग: डेमोक्रेटिक नेता किसी भी अल्पकालिक फंडिंग बिल में समाप्त हो रहे स्वास्थ्य लाभों को शामिल करने पर अड़े हैं।
- ट्रंप की रणनीति: रिपब्लिकन का तर्क है कि दोनों मुद्दों को अलग-अलग रखा जाना चाहिए। साथ ही, राष्ट्रपति ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि शटडाउन होता है, तो उनकी प्रशासन बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी कर सकता है, जिससे यह संकट और गहरा जाएगा।
आम अमेरिकी पर असर:
शटडाउन का सीधा असर आम नागरिकों पर पड़ना तय है। ‘दुनिया का बादशाह’ खुद छोटे-छोटे खर्चों के लिए मजबूर होने पर, स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा तक, कई महत्त्वपूर्ण व्यवस्थाएं प्रभावित होने जा रही हैं:
- कर्मचारियों पर असर: लगभग 7.5 लाख गैर-जरूरी संघीय कर्मचारी बिना वेतन के छुट्टी पर रहेंगे। सेना और सुरक्षा कर्मी जैसे ‘जरूरी कर्मचारी’ काम करना जारी रखेंगे, लेकिन उन्हें वेतन नहीं मिलेगा।
- सेवाएं ठप: कई सरकारी सेवाएं रुक जाएंगी या धीमी हो जाएंगी, जिनमें हवाई यात्रा पर असर, आर्थिक रिपोर्टों का प्रकाशन रुकना, और छोटे व्यवसायों के लिए ऋण (लोन) में देरी शामिल है।
- अर्थव्यवस्था पर चोट: पिछले शटडाउन (2018-19) में अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 3 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। इस बार भी जीडीपी पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है।
इतिहास दोहरा रहा खुद को:
यह अमेरिका के इतिहास में 22वां सरकारी शटडाउन है। पिछली बार 2018 में यह 35 दिन तक चला था, जो अमेरिकी इतिहास की सबसे लंबी बंदी थी। वर्तमान में, राष्ट्रपति ट्रंप और डेमोक्रेट्स के बीच सुलह न होने तक यह संकट जारी रहने की संभावना है, जिसका खामियाजा लाखों संघीय कर्मचारियों और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भुगतना पड़ रहा है।
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