November 13, 2025

आईआईटी कानपुर में फिर एक छात्र ने दी जान, पिछले आठ महीनों में तीसरा मामला

कानपुर। प्रतिष्ठित आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) एक बार फिर एक दुखद घटना से दहल गया है। बीटेक अंतिम वर्ष के एक छात्र ने छात्रावास के कमरे में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली है। यह पिछले आठ महीनों में संस्थान में आत्महत्या का तीसरा मामला है, जिसने मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) और छात्रों पर शैक्षणिक दबाव (Academic Pressure) को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

दुर्गंध से हुआ खुलासा

घटना आईआईटी कानपुर के छात्रावास की है। मृतक छात्र की पहचान धीरज सैनी (निवासी: बिचौली रोड ककरकई, महेंद्रगढ़, हरियाणा) के रूप में हुई है। वह छात्रावास के कमरा नंबर 123 में अकेला रहता था। पुलिस के अनुसार, छात्र 28 सितंबर से कमरे में दिखाई नहीं दिया था और दरवाजा अंदर से बंद था। बुधवार को (वर्तमान समय के हिसाब से) जब कमरे के पास से गुजरने वाले सहपाठियों को तेज दुर्गंध आई, तो उन्होंने आईआईटी प्रशासन को सूचित किया।

कल्याणपुर थाना प्रभारी अजय प्रकाश मिश्रा ने बताया कि प्रशासन की सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दरवाजा तोड़ा। अंदर धीरज सैनी का शव पंखे से लटका हुआ मिला। छात्र के पिता सतीश को घटना की जानकारी दे दी गई है।

लगातार तीसरी घटना, गहरे तनाव का संकेत

यह आईआईटी कानपुर में इस साल आत्महत्या का तीसरा मामला है, जो संस्थान के भीतर छात्रों के गहरे मानसिक तनाव की ओर इशारा करता है।

  • इससे पहले इसी साल: एक सॉफ्टवेयर डेवलपर दीपक चौधरी ने भी अपने फ्लैट में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। महाराष्ट्र के जलगांव के रहने वाले दीपक ने अपने सुसाइड नोट में खुद को ‘फेलियर’ महसूस करने की बात लिखी थी, जो अत्यधिक मानसिक दबाव को दर्शाता है।
  • 10 फरवरी की घटना: दिल्ली विश्वविद्यालय से बीएससी और आईआईटी दिल्ली से एमएससी करने के बाद आईआईटी कानपुर में केमिस्ट्री से पीएचडी में दाखिला लेने वाले अंकित यादव ने भी छात्रावास के कमरे में आत्महत्या कर ली थी। यूजीसी की फेलोशिप पाने के बावजूद मेधावी छात्र का यह कदम हर किसी को स्तब्ध कर गया था।

इन लगातार हो रही त्रासद घटनाओं ने न केवल छात्रों के माता-पिता, बल्कि पूरे शैक्षणिक समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। यह समय है जब संस्थान और सरकार मिलकर शैक्षणिक तनाव प्रबंधन और मानसिक स्वास्थ्य सहायता को प्राथमिकता दें, ताकि देश के इन प्रतिभाशाली छात्रों को बचाया जा सके।


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