November 13, 2025

‘द गॉडफादर’ की 50वीं वर्षगांठ : कैसे कोपोला ने ब्रैंडो और पचीनो के साथ मिलकर सिनेमा का इतिहास बदल दिया?

पैसे की तंगी से जन्मी कहानी, जिसने हॉलीवुड को हमेशा के लिए बदल दिया

द गॉडफादर (The Godfather), यह नाम सिर्फ एक फिल्म का नहीं, बल्कि सिनेमा के एक स्वर्ण युग का प्रतीक है। फ्रांसिस फोर्ड कोपोला द्वारा निर्देशित और मारियो पूज़ो की 1969 की नॉवेल पर आधारित यह कृति, परिवार, शक्ति, आप्रवासन और त्रासदी की एक ऐसी जटिल गाथा है, जो आधी सदी बाद भी उतनी ही शक्तिशाली लगती है। लेकिन इस लेजेंड को बनाना किसी चुनौती से कम नहीं था।

कहानी की शुरुआत मारियो पूज़ो से होती है, जिन्होंने आर्थिक तंगी से गुज़रते हुए यह नॉवेल सिर्फ “पैसा कमाने” के लिए लिखी थी। जब नॉवेल की बिक्री ने आसमान छू लिया, तो पैरामाउंट पिक्चर्स ने इसे फिल्म में बदलने का फैसला किया।

संघर्षरत डायरेक्टर: कोपोला को मौकापैरामाउंट पिक्चर्स शुरू में किसी बड़े नाम वाले डायरेक्टर को चाहता था, लेकिन किसी ने खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। तब स्टूडियो ने उस वक्त के संघर्षरत डायरेक्टर फ्रांसिस फोर्ड कोपोला को साइन किया। स्टूडियो इस फिल्म को एक सीधा-सादा माफिया ड्रामा बनाना चाहता था, लेकिन कोपोला की दृष्टि अलग थी। उनके लिए यह केवल अपराध की कहानी नहीं, बल्कि इटालियन इमिग्रेंट परिवार की दुखद कथा (ट्रैजेडी) थी। कोपोला ने स्टूडियो के दबाव को दरकिनार कर अपनी कलात्मक दृष्टि को प्राथमिकता दी, जिसने फिल्म को अमर बना दिया।ब्रैंडो का विवादित चुनाव: “द गॉडफादर” का लुककास्टिंग इस प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा युद्धक्षेत्र था। स्टूडियो मार्लन ब्रैंडो को डॉन विटो कोर्लियोन की भूमिका में लेने के सख्त खिलाफ था।

ब्रैंडो अपनी “मुश्किल” आदतों और बॉक्स ऑफिस पर पिछली असफलताओं के कारण अलोकप्रिय थे।कोपोला अपनी बात पर अड़े रहे। उन्होंने स्टूडियो को मनाने के लिए ब्रैंडो का एक टेस्ट वीडियो चुपके से भेजा, जिसमें ब्रैंडो ने अपने गालों में रुई भरकर और आवाज में बदलाव कर डॉन कोर्लियोन का प्रतिष्ठित लुक अपनाया था।

इस वीडियो ने स्टूडियो को चौंका दिया और ब्रैंडो का कास्टिंग फाइनल हो गया।अल पचीनो: कोपोला की दूसरी जिदमाइकल कोर्लियोन के किरदार के लिए अल पचीनो का चयन भी आसान नहीं था। पैरामाउंट एक और कम-ज्ञात, युवा एक्टर को इतनी महत्वपूर्ण भूमिका में नहीं लेना चाहता था। लेकिन कोपोला को पचीनो में माइकल के जटिल रूपांतरण (transformation) की गहराई दिखती थी—वह मासूमियत से क्रूरता तक के सफर को पर्दे पर उतारने के लिए परफेक्ट थे। कई ऑडिशन और स्टूडियो के विरोध के बावजूद, कोपोला की जिद काम आई।

आज माइकल कोर्लियोन का किरदार सिनेमा के इतिहास का सबसे प्रतिष्ठित किरदार माना जाता है।सेट पर असली माफिया का सहयोगफिल्म की शूटिंग के दौरान न्यूयॉर्क में कुछ अप्रत्याशित समस्याएं आईं। असली माफिया संगठन इस फिल्म से नाराज़ थे। स्थानीय गैंगस्टरों ने स्क्रिप्ट से “माफिया” शब्द हटाने की मांग की। कोपोला ने समझदारी से काम लिया और इस शब्द को स्क्रिप्ट से हटा दिया, लेकिन कहानी के सार में कोई बदलाव नहीं किया।

हैरानी की बात यह है कि इसी के बाद असली लोकल गैंगस्टर्स ने शूटिंग में सहयोग करना शुरू कर दिया। उन्होंने सुरक्षा से लेकर लोकेशन तक में मदद की, जिससे फिल्म को अभूतपूर्व प्रामाणिकता (authenticity) मिली।सिनेमा और संस्कृति पर अमर छापफिल्म के संगीतकार, नीनो रोटा, ने ‘द गॉडफादर थीम’ जैसा अविस्मरणीय संगीत दिया, जो आज भी गहरी भावनाओं का संचार करता है।जब 1972 में यह फिल्म रिलीज हुई, तो यह उस समय की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक बनी। इसे आलोचकों और दर्शकों दोनों का भरपूर प्यार मिला और इसने कई ऑस्कर पुरस्कार जीतकर इतिहास रचा।

हालांकि, ब्रैंडो ने हॉलीवुड में मूल अमेरिकी समुदाय के साथ हो रहे भेदभाव के विरोध में बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया था।अल पचीनो ने बाद में स्वीकार किया कि शूटिंग के दौरान उन्हें खुद अपनी परफॉर्मेंस पर संदेह था, और उन्हें यकीन नहीं था कि यह फिल्म इतनी बड़ी लेजेंड बनेगी।आज भी, ‘द गॉडफादर’ सिर्फ एक फिल्म नहीं है, बल्कि एक मास्टरपीस है। इसके डायलॉग्स जैसे “I’m gonna make him an offer he can’t refuse” अब केवल लाइनें नहीं, बल्कि सिनेमा की भाषा बन चुके हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी फिल्म निर्माताओं को प्रेरित कर रहे हैं।

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