November 13, 2025

भारत के वो स्थान, जहाँ रावण दहन नहीं, बल्कि उनकी पूजा की जाती है

दशहरा का पर्व पूरे भारत में भगवान राम की रावण पर विजय के रूप में मनाया जाता है, जहाँ बुराई के प्रतीक रावण का पुतला दहन किया जाता है। लेकिन भारत में कुछ ऐसे भी स्थान हैं जहाँ रावण को एक महान शिव भक्त और प्रकांड विद्वान के रूप में सम्मान दिया जाता है। इन स्थानों पर दशहरे के दिन रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता, बल्कि उसकी पूजा-अर्चना की जाती है। यह अपने आप में एक अनूठी परंपरा है, जो रावण के बहुआयामी व्यक्तित्व को दर्शाती है।

बैजनाथ धाम (हिमाचल प्रदेश)

बैजनाथ धाम, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है, जहाँ ऐसी मान्यता है कि रावण ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। यहाँ रावण को शिव के परम भक्त के रूप में पूजा जाता है और दशहरे पर रावण दहन की परंपरा नहीं है।

कैलाशनाथ शिवाला

ठीक इसी प्रकार, कानपुर के कैलाश नाथ शिवाला में भी रावण की पूजा की जाती है। स्थानीय लोग रावण को एक ज्ञानी और महान तपस्वी मानते हैं और उन्हें श्रद्धा भाव से देखते हैं।

मंदसौर (मध्य प्रदेश):

मध्य प्रदेश के मंदसौर में रावण को “दामाद” के रूप में पूजा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण की पत्नी मंदोदरी मंदसौर की ही रहने वाली थीं। इसलिए मंदसौर के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं और दशहरे पर शोक मनाते हैं, पुतला दहन नहीं करते। यहाँ रावण की एक विशाल प्रतिमा भी स्थापित है।

विदिशा (मध्य प्रदेश):

विदिशा जिले में भी रावण की पूजा की जाती है। यहाँ एक प्राचीन मंदिर है जहाँ रावण की 10 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। स्थानीय लोग रावण को एक शक्तिशाली योद्धा और भगवान शिव का भक्त मानते हैं।

जोधपुर (राजस्थान):

राजस्थान के जोधपुर में भी रावण को एक पूज्यनीय व्यक्ति के रूप में देखा जाता है। यहाँ के कुछ विशेष समाज के लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं और दशहरे पर उसकी पूजा करते हैं।

रावण: शिव तांडव स्तोत्र के रचयिता और परम शिव भक्त

रावण का व्यक्तित्व केवल नकारात्मक नहीं था। वह एक प्रकांड पंडित, वेदों का ज्ञाता, ज्योतिष और तंत्र-मंत्र का विशेषज्ञ था। सबसे महत्वपूर्ण बात, वह भगवान शिव का परम भक्त था। “शिव तांडव स्तोत्र” की रचना रावण ने ही की थी। यह स्तोत्र भगवान शिव की स्तुति में गाया जाने वाला एक शक्तिशाली भजन है, जो रावण की भक्ति और काव्य प्रतिभा का अनुपम उदाहरण है। कहा जाता है कि रावण ने अपने सिर काटकर भगवान शिव को अर्पित करने का प्रयास किया था, जिससे प्रसन्न होकर शिव ने उसे वरदान दिया था।

​इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि भारत में रावण के प्रति एक विविध दृष्टिकोण है। जहाँ एक ओर उसे बुराई का प्रतीक माना जाता है, वहीं दूसरी ओर उसकी विद्वत्ता, भक्ति और गुणों को भी सराहा जाता है। यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक और प्रमाण है, जहाँ विभिन्न परंपराएं और मान्यताएं एक साथ coexist करती है।

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