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कब तक पनपते रहेंगे सूबे में खड़े हजारों अवैध मदरसे

बहराइच कांड के बाद अवैध मदरसों का मुद्दा सुर्खियों में


नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के हालिया आंकड़ों और गृह मंत्रालय द्वारा लोकसभा में पेश की गई जानकारी ने देश में मानव तस्करी और महिलाओं एवं बच्चों की गुमशुदगी की गंभीर स्थिति पर गहरी चिंता पैदा कर दी है।

वर्ष 2018 से 2022 के बीच देश भर में मानव तस्करी के कुल 10,659 मामले दर्ज किए गए, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल थे।
गृह मंत्रालय ने लोकसभा में बताया था कि 2022 में 28,222 अपहृत महिलाओं को “विवाह के लिए मजबूर करने” के इरादे से ले जाया गया था, जिसमें कुछ मामलों में तस्करी भी शामिल है।

हालांकि NCRB के आंकड़े सीधे तौर पर महिला मानव तस्करी की घटनाओं की संख्या अलग से नहीं बताते हैं, लेकिन अपहरण और गुमशुदगी के आंकड़े इस खतरे की भयावहता को दर्शाते हैं। यह हालत तब है जब NCRB ने अपने आंकड़ों को 2022 के बाद अपडेट भी नहीं किया है।


महिला मानव तस्करी के स्पष्ट मामलों की अनुपलब्धता के बावजूद, महिलाओं और बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट गंभीर तस्वीर पेश करती है:

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