लखनऊ। चिकित्सा तंत्र की लापरवाही का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मलिहाबाद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी कराने वाली महिला ने आठ माह बाद बच्चे को जन्म दिया। यह मामला स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीरता और जिम्मेदारी पर सवाल खड़े करता है। महिला ने 19 जुलाई 2024 को नसबंदी कराई थी। इसके बाद डॉक्टरों ने उसे प्रमाणपत्र भी दे दिया। लेकिन अब महिला ने शिकायत दर्ज कराई है कि डॉक्टरों ने केवल कागजों पर ही नसबंदी पूरी कर दी थी।

पीड़िता ने तहसील दिवस पर अधिकारियों से अपनी शिकायत दर्ज कराई। हालांकि अब तक इस पर किसी भी स्तर पर कार्रवाई नहीं की गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह घटना स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का उदाहरण है। महिला ने बताया कि नसबंदी कराने के बावजूद वह गर्भवती हुई और हाल ही में बच्चे को जन्म दिया।

जानकारी के अनुसार, महिला की नसबंदी करने वाली डॉक्टर की भूमिका सबसे ज्यादा संदिग्ध मानी जा रही है। क्योंकि महिला को प्रमाणपत्र देकर यह आश्वासन दिया गया कि प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब यह मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं।
नसबंदी जैसे संवेदनशील मामलों में लापरवाही किसी परिवार के जीवन को प्रभावित कर सकती है। यह घटना साफ दिखाती है कि कागजों पर खानापूर्ति करने की प्रवृत्ति कितनी खतरनाक साबित हो सकती है। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं पर विश्वास तभी कायम होगा जब जिम्मेदार अधिकारियों और डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
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