नई दिल्ली। आज जिस प्लास्टिक के छोटे टुकड़े को हम सिम कार्ड के नाम से जानते हैं, वह संभवतः अपने अंतिम दिन गिन रहा है। आने वाले समय में, यह ई-सिम (eSIM) द्वारा पूरी तरह से प्रतिस्थापित हो सकता है, जो एक वर्चुअल सिम कार्ड है।क्या आपने कभी सोचा है कि सिम का पूरा नाम क्या है? यह है सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल।

इसकी शुरुआत 1991 में हुई थी, जब जर्मनी की कंपनी Giesecke & Devrient ने पहला सिम कार्ड बनाया। उस समय, यह एक क्रेडिट कार्ड के आकार का था। समय के साथ, इसे मिनी-सिम, माइक्रो-सिम और अंत में नैनो-सिम जैसे छोटे और कॉम्पैक्ट रूपों में विकसित किया गया। प्रत्येक नए रूप ने फोन निर्माताओं को पतले और अधिक स्टाइलिश डिवाइस बनाने की अनुमति दी।लेकिन अब, भौतिक सिम कार्ड का युग समाप्त होने की कगार पर है। भारतीय बाज़ार में भी, वोडाफोन-आइडिया (Vi) और एयरटेल जैसी प्रमुख दूरसंचार कंपनियाँ ई-सिम का विकल्प दे रही हैं। ई-सिम, डिवाइस में पहले से ही एम्बेडेड होती है और इसे भौतिक रूप से बदलने की आवश्यकता नहीं होती। यह तकनीक न सिर्फ जगह बचाती है, बल्कि डिवाइस को वाटरप्रूफ और अधिक टिकाऊ बनाने में भी मदद करती है।

इस नई तकनीक को अपनाने में, एप्पल सबसे आगे रहा है। हाल ही में, एप्पल ने अपने iPhone 17 को लॉन्च किया है, जिसमें अमेरिकी बाज़ार के लिए बनाए गए मॉडलों में भौतिक सिम कार्ड का कोई स्लॉट नहीं दिया गया है। शुरुआत में, लोगों को यह बात अजीब लगी, लेकिन जब उन्हें यह पता चला कि वे किसी भी ऑपरेटर की ई-सिम को डाउनलोड कर सकते हैं, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।भारत जैसे देश में, जहाँ ऑपरेटर बदलने की प्रक्रिया अक्सर जटिल होती है, ई-सिम पोर्टेबिलिटी को आसान बना सकती है। आपको बस अपने ऑपरेटर से संपर्क करके अपनी ई-सिम को नए फोन में डाउनलोड करना होगा। इससे ‘हिंग लगे ना फिटकरी, और रंग भी चोखा’ जैसी कहावत सच होती दिख रही है।

ई-सिम की वजह से फोन चोरी या गुम होने जैसी समस्याओं से निपटने में भी आसानी होती है। चूंकि ई-सिम डिवाइस में ही एम्बेडेड होती है, चोर के लिए इसे निकालना या बंद करना मुश्किल हो जाता है। इससे आपका डिवाइस सुरक्षित रहता है और आप दूर से ही अपनी सेवा को निष्क्रिय कर सकते हैं।
ई-सिम तकनीक का यह विकास मोबाइल संचार के भविष्य को पूरी तरह से बदल रहा है। यह सिर्फ एक सुविधा से कहीं अधिक है; यह एक नए, अधिक एकीकृत और टिकाऊ युग की शुरुआत है।

