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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, फर्जी धर्मांतरण सर्टिफिकेट पर शादी अमान्य

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवाह और धर्मांतरण से जुड़े एक अहम मामले पर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि फर्जी धर्मांतरण सर्टिफिकेट शादी हाईकोर्ट फैसला के अनुसार, अगर शादी फर्जी धर्मांतरण प्रमाणपत्र पर आधारित है तो वह अवैध मानी जाएगी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में विवाह का पंजीकरण स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत किया जा सकता है।

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मामला उस समय चर्चा में आया जब याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसने धर्म बदलकर शादी की थी। जांच में सामने आया कि प्रस्तुत किया गया धर्मांतरण प्रमाणपत्र असली नहीं था। इस पर हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि शादी जैसे गंभीर मामले में फर्जी कागजात का इस्तेमाल न केवल अवैध है बल्कि यह अपराध की श्रेणी में आता है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि विवाह एक सामाजिक और कानूनी बंधन है। यदि किसी पक्ष को बिना वास्तविक धर्मांतरण के केवल कागजों पर परिवर्तित दिखाया गया है तो ऐसे विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती। हालांकि, यदि दोनों बालिग हैं और सहमति से विवाह करना चाहते हैं, तो उनके पास स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह पंजीकरण का अधिकार है।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भविष्य में धर्मांतरण और विवाह से जुड़े विवादित मामलों में एक मिसाल साबित होगा। इससे समाज में बढ़ते फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा और अंतरधार्मिक विवाहों को सही कानूनी रास्ता मिलेगा।

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