रायपुर। आखिरकार 39 साल बाद न्याय की प्रतीक्षा समाप्त हुई। मध्यप्रदेश स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन, रायपुर में बिल सहायक रहे रामेश्वर प्रसाद अवधिया को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बेगुनाह करार दिया है। 39 साल बाद न्याय मिलने से न केवल उनका बोझ हल्का हुआ है, बल्कि यह फैसला उन सभी मामलों के लिए मिसाल है, जिनमें निर्दोष लोग वर्षों तक न्याय की राह देखते हैं।
मामला वर्ष 1986 का है। उस समय रामेश्वर प्रसाद पर 100 रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था। घटना के अनुसार, वे ऑफिस जाने के लिए घर से निकल ही रहे थे, तभी एक कर्मचारी ने उनकी जेब में जबरन 50-50 रुपए के दो नोट डाल दिए। जैसे ही उन्होंने पैसे निकालने की कोशिश की, लोकायुक्त की विजिलेंस टीम पहुंच गई और उन्हें रंगेहाथ पकड़ने का दावा करते हुए केस दर्ज कर लिया।

इस घटना के बाद से ही रामेश्वर प्रसाद को लंबे समय तक अदालतों में कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। वर्षों तक चले इस संघर्ष ने उनकी निजी और सामाजिक जिंदगी को गहराई से प्रभावित किया। लेकिन आखिरकार हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला झूठा था और उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
हाईकोर्ट के इस फैसले ने न्यायपालिका पर लोगों का भरोसा और मजबूत किया है। साथ ही, यह उन निर्दोष लोगों के लिए उम्मीद की किरण भी है, जो झूठे आरोपों में फंसकर बरसों से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। रामेश्वर प्रसाद के लिए यह फैसला उनकी लंबी लड़ाई का सुखद अंत है।
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