लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोकायुक्तों के कार्यकाल को लेकर कानूनी विवाद गहराता जा रहा है। आज़ाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट, लखनऊ बेंच के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल की है। याचिका का मुख्य आधार यह है कि यूपी लोकायुक्त और एक उप लोकायुक्त अपने निर्धारित कार्यकाल से अधिक समय तक पद पर बने हुए हैं।
अमिताभ ठाकुर ने अपनी याचिका में कहा है कि जब इनकी नियुक्ति हुई थी, तब उत्तर प्रदेश लोकायुक्त तथा उप लोकायुक्त अधिनियम की धारा 5 के तहत कार्यकाल अधिकतम 8 वर्ष निर्धारित था। इसके बावजूद मौजूदा लोकायुक्त न्यायमूर्ति संजय मिश्रा 9.5 वर्ष से इस पद पर हैं। इसी तरह उप लोकायुक्त शंभू सिंह यादव भी 9 वर्ष से पद पर बने हुए हैं।

इस मुद्दे पर उन्होंने पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट, लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल करते हुए मांग की है कि समयावधि पूर्ण कर चुके लोकायुक्त और उप लोकायुक्त को उनके पद से हटाया जाए।
इस प्रकरण ने उत्तर प्रदेश में संवैधानिक पदों की अवधि और पारदर्शिता को लेकर नई बहस छेड़ दी है। अमिताभ ठाकुर का कहना है कि संवैधानिक और अर्द्ध-न्यायिक पदों पर नियमों से अधिक समय तक बने रहना न केवल अवैध है, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
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