November 14, 2025

36 साल पहले का चौंकाने वाला विमान हादसा: अलोहा एयरलाइंस फ्लाइट 243

नई दिल्ली। सोचिए, आप 24,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहे हैं और अचानक विमान की छत ही उड़ जाए। 1988 में हुआ अलोहा एयरलाइंस फ्लाइट 243 का यह हादसा आज भी इतिहास में ‘मिरेकल फ्लाइट’ के नाम से जाना जाता है। विमान का एक बड़ा हिस्सा फट गया, तूफानी हवा और उड़ते सामान के बीच यात्री खुले आसमान के नीचे बैठे। चौंकाने वाली बात यह है कि 94 यात्रियों की जान बच गई।

घटना के दौरान फ्लाइट अटेंडेंट क्लैरेबेल लैंसिंग गंभीर रूप से घायल हुईं और उनकी मौत हो गई। इसके बावजूद पायलट्स कैप्टन रॉबर्ट शॉर्नस्टाइमर और फर्स्ट ऑफिसर मैडेलिन टॉम्पकिंस ने तुरंत इमरजेंसी डिसेंट शुरू किया। शोर और तूफानी हवा के बावजूद, उन्होंने विमान को केवल 13 मिनट में माउई एयरपोर्ट पर सुरक्षित उतारा।

विमान की छत उड़ने से केबिन प्रेशर गिर गया और कई यात्री बेहोश हो गए। पायलट्स ने तुरंत विमान को 10,000 फीट की ऊंचाई पर उतारा, जहां पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्ध थी। एविएशन मेडिकल डेटा के अनुसार, इतने समय तक बिना ऑक्सीजन भी इंसान कुछ मिनट तक होश में रह सकता है। इसी कारण सभी 94 यात्रियों की जान बच गई।

जांच में पता चला कि विमान पुराना था और इसके फ्यूजलेज में मेटल फैटिग क्रेक्स पड़ चुके थे। एयरलाइन की मेंटेनेंस टीम इन कमजोरियों को सही से नहीं पकड़ पाई थी। प्रेशर का झटका लगते ही कमजोर हिस्से टूट गए और छत उड़ गई।

अलोहा एयरलाइंस फ्लाइट 243 की यह घटना एविएशन इतिहास में अद्भुत जीवित रहने की मिसाल के रूप में दर्ज है। इसे आज भी ‘मिरेकल फ्लाइट’ कहा जाता है क्योंकि इतनी गंभीर स्थिति में भी पायलट्स की सूझबूझ और साहस ने सभी यात्रियों की जान बचाई। यह हादसा विमान सुरक्षा, मेंटेनेंस और पायलट दक्षता के महत्व को भी उजागर करता है।

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