लखीमपुर खीरी। शारदा नदी का कटान थमने का नाम नहीं ले रहा है। निघासन क्षेत्र के ग्रंट 12 गांव में सोमवार सुबह तक नदी की तेज धार ने पांच पक्के मकान एक ही झटके में ढहा दिए। दीपक कुमार, राजवती, श्रीमोहन, सोनू कुमार और रामखेलावन के मकान नदी में समा गए। कटान की यह घटना गांववासियों के लिए गंभीर संकट बन चुकी है।
ग्रामीणों के अनुसार अब तक 122 घर कटान की भेंट चढ़ चुके हैं। सैकड़ों बीघा उपजाऊ जमीन, मवेशी और घरेलू सामान भी नदी में बह गए। रोजाना कटान से कई परिवार बेघर हो रहे हैं और लोग खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं। कटान पीड़ितों का कहना है कि प्रशासन केवल मुआवजा बांटकर औपचारिकता पूरी कर रहा है।

तहसीलदार मुकेश वर्मा ने बताया कि जलस्तर घटने के साथ शारदा का कटान और तेज हो गया है। प्रशासन पीड़ित परिवारों को सुरक्षित स्थान पर बसाने का प्रयास कर रहा है।
वहीं, विकास खंड बिजुआ क्षेत्र के सिंघिया गांव में भी स्थिति गंभीर है। 2024 में इस गांव में कुल 119 घर थे। पिछले साल 25 घर कटान की चपेट में आ गए थे। इस वर्ष सितंबर से शुरू हुए कटान में अब तक 41 और घर नदी में समा चुके हैं। 21 सितंबर को एक ही दिन में 11 मकान, सड़कें और बिजली के खंभे बह गए।
बेघर हुए परिवारों में रामनरायन, दारासिंह, लल्लन, महेश कुमार, प्रमोद कुमार, भृगुनाथ, रामप्रवेश, नीरज कुमार, गौरीशंकर, गनेश और हरेराम शामिल हैं। ये लोग सड़क किनारे तिरपाल डालकर अपने बच्चों और मवेशियों के साथ रहने को मजबूर हैं।
स्थिति गंभीर होने के कारण छोटे बच्चों के लिए दूध और दवाओं की कमी, मवेशियों के लिए चारे की समस्या और पीने के पानी की किल्लत उत्पन्न हो गई है। क्षेत्रीय लेखपाल राकेश शुक्ल स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं और तहसील प्रशासन को नियमित रूप से जानकारी दे रहे हैं।
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