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शारदीय नवरात्रि: दुर्गा सप्तशती पाठ का सही क्रम

जानें किस दिन कितने पाठ करना चाहिए और उत्कीलन का महत्व

कानपुर: शारदीय नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की आराधना का सबसे उत्तम समय माना जाता है। इन नौ दिनों में भक्त मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए अनेक प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, जिनमें दुर्गा सप्तशती का पाठ सबसे प्रमुख है। लेकिन कई लोगों को यह जानकारी नहीं होती कि किस दिन कितने पाठ किए जाने चाहिए और पाठ का सही क्रम क्या है।

इसके साथ ही, उत्कीलन और प्रतिदिन पाठ के प्रारंभ को लेकर भी कई भ्रांतियां हैं।

आइए जानते हैं दुर्गा सप्तशती पाठ का सही तरीका और इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम। किस दिन कितने पाठ?

दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय हैं, जिन्हें नवरात्रि के नौ दिनों में अलग-अलग संख्या में पढ़ा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इसका एक निश्चित क्रम है, जिससे पाठ का पूरा फल प्राप्त होता है। * प्रथम दिन (प्रतिपदा): एक पाठ (अध्याय 1) * द्वितीय दिन (द्वितीया): दो पाठ (अध्याय 2 और 3) * तृतीय दिन (तृतीया): एक पाठ (अध्याय 4) * चतुर्थ दिन (चतुर्थी): चार पाठ (अध्याय 5, 6, 7 और 8) * पंचम दिन (पंचमी): दो पाठ (अध्याय 9 और 10) * षष्ठम दिन (षष्ठी): एक पाठ (अध्याय 11) * सप्तम दिन (सप्तमी): दो पाठ (अध्याय 12 और 13) * अष्टम दिन (अष्टमी): संपूर्ण सप्तशती का एक पाठ या जितने संभव हों, उतने पाठ। कुछ भक्त इस दिन नवार्ण मंत्र का जप करते हैं और हवन करते हैं। * नवम दिन (नवमी): एक पाठ (यदि कोई अध्याय छूट गया हो तो उसे पूर्ण करें) और पूर्णाहुति के लिए हवन।उत्कीलन का महत्वउत्कीलन का अर्थ है पाठ से जुड़ी बाधाओं को दूर करना।

माना जाता है कि बिना उत्कीलन के पाठ का पूरा फल नहीं मिलता। यह एक प्रकार का अनुष्ठान है जो पाठ शुरू करने से पहले किया जाता है। उत्कीलन के लिए, ‘कीलक’ मंत्र का जाप किया जाता है। इस मंत्र का उद्देश्य पाठ के गुप्त प्रभाव को सक्रिय करना है।

प्रतिदिन कहां से करें पाठ का प्रारंभ?

दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रतिदिन करने का एक विशिष्ट नियम है। इसका प्रारंभ हमेशा ‘अर्गला स्तोत्र’ से करना चाहिए। इसके बाद ‘कीलक स्तोत्र’ और फिर ‘कवच’ का पाठ किया जाता है। इसके बाद ही मुख्य पाठ (अध्याय) प्रारंभ किया जाता है। पाठ समाप्त होने पर ‘देवी सूक्त’ का पाठ करना चाहिए। इस विधि से पाठ करने पर मां दुर्गा की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।क्यों है यह महत्वपूर्ण?दुर्गा सप्तशती का पाठ केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने का एक शक्तिशाली माध्यम है। सही विधि और विधान से किया गया पाठ व्यक्ति को मानसिक शांति, शक्ति और सफलता प्रदान करता है। इसलिए नवरात्रि में इस पाठ को पूर्ण श्रद्धा और सही नियमों के साथ करना चाहिए।

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