November 13, 2025

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए कुछ विशेष नियम

शास्त्रों के अनुसार दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए कुछ विशेष नियम और चरण बताए गए हैं, जिनका पालन करने से पाठ का पूर्ण फल प्राप्त होता है। यह पाठ तीन चरित्रों में विभाजित है, और प्रत्येक चरित्र का अपना महत्व है।

पाठ करने का सही तरीका

संकल्प: सबसे पहले, पाठ शुरू करने से पहले हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर संकल्प करना चाहिए। इसमें अपना नाम, गोत्र और पाठ का उद्देश्य बताया जाता है। पाठ प्रारंभ उत्कीर्ण के साथ करें।

* षडंग पाठ: दुर्गा सप्तशती का पाठ कवच, अर्गला, कीलक, प्रधानिक रहस्य, वैकृतिक रहस्य, और मूर्ति रहस्य के साथ किया जाना चाहिए। इन्हें ‘षडंग पाठ’ कहते हैं।

* न्यासादि: पाठ शुरू करने से पहले विनियोग, न्यास, ध्यान, और मंत्रोच्चार किया जाता है। इससे पाठ की शक्ति बढ़ती है।

* चरित्रों का क्रम:

* प्रथम चरित्र: इसमें महाकाली की कथा है। इसे मधु-कैटभ वध के प्रसंग से शुरू किया जाता है।

* मध्यम चरित्र: इसमें महालक्ष्मी की कथा है, जो महिषासुर वध से संबंधित है।

* उत्तम चरित्र: इसमें महासरस्वती की कथा है, जिसमें शुंभ-निशुंभ वध का वर्णन है।

  • * समापन: पाठ पूरा होने के बाद कपाल मोचन और दुर्गा सप्तशती के सिद्ध मंत्रों का जाप किया जाता है। इसके बाद देवी से अपनी भूलों के लिए क्षमा मांगी जाती है।

ध्यान रखने योग्य बातें

* पाठ शारीरिक और मानसिक शुद्धता के साथ करना चाहिए। * पाठ करते समय उच्चारण शुद्ध होना चाहिए। * पाठ के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। * पाठ निरंतरता के साथ पूरा करना चाहिए।

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