लखनऊ। 21 सितंबर 2025 को साल की अहम खगोलीय घटना घटित होने जा रही है। इस दिन सूर्यग्रहण 21 सितंबर 2025 रात 10:59 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 3:23 बजे तक रहेगा। यह आंशिक सूर्यग्रहण भारत समेत एशिया के अधिकांश हिस्सों से दिखाई नहीं देगा।

खगोलविदों के अनुसार, यह दृश्य मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका और दक्षिण अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों से देखा जा सकेगा। भारत में यह दिखाई न देने के बावजूद इसका वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व माना जाएगा।

धार्मिक मान्यताएं और सूतक
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, सूर्यग्रहण का प्रभाव वहीं पड़ता है जहां यह प्रत्यक्ष रूप से दिखता है। चूंकि भारत से यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां सूतक काल लागू नहीं होगा। फिर भी पूजा-पाठ, ध्यान और मंत्रजप इस समय विशेष फलदायी माना गया है।
क्या करें – क्या न करें
ग्रहण शुरू होने से पहले स्नान और भगवान का स्मरण शुभ माना जाता है। ग्रहण के दौरान ध्यान, भजन और मंत्रजप करने की परंपरा है। ग्रहण के बाद पुनः स्नान और गंगाजल छिड़काव शुभ माना जाता है।
मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दौरान भोजन पकाना, खाना और तेज वस्तुओं का उपयोग वर्जित है। गर्भवती महिलाओं को भी इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि बिना सुरक्षित चश्मे के सूर्य को सीधे देखना आंखों के लिए हानिकारक हो सकता है।
वैज्ञानिक महत्व
सूर्यग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आकर सूर्य की किरणों को आंशिक या पूर्ण रूप से ढक लेता है। वैज्ञानिकों के लिए यह घटना सूर्य की संरचना और किरणों के प्रभावों को समझने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है।
भारत में असर
हालांकि भारत से यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, लेकिन खगोल विज्ञान प्रेमी इसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए देख सकेंगे। धार्मिक दृष्टि से भी इस दिन पूजा-पाठ और मंत्रजप के आयोजन होंगे।
यह सूर्यग्रहण भारत में प्रत्यक्ष रूप से न दिखने के बावजूद खगोल और आस्था दोनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। लोगों को चाहिए कि वे मान्यताओं का पालन करते हुए इस घटना को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी समझने का प्रयास करें।
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