कुशीनगर। “मेकांग गंगा सहयोग” के तहत पर्यटन क्षेत्र में भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक महत्वपूर्ण आयोजन हुआ। इसमें कंबोडिया, लाओस, थाईलैंड, म्यांमार और वियतनाम जैसे मेकांग गंगा सहयोग देशों के 50 प्रतिनिधियों ने सहभागिता की। जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने अतिथियों से शिष्टाचार मुलाकात कर ‘अतिथि देवो भव’ की भारतीय परंपरा को साकार किया।
प्रतिनिधियों को पंचशील खाता और स्मृति चिह्न प्रदान कर जिलाधिकारी ने तथागत बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली की ऐतिहासिक महत्ता से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि कुशीनगर न केवल बौद्ध परंपरा का एक प्रमुख केन्द्र है, बल्कि यहां पर्यटन की दृष्टि से भी तीव्र विकास हुआ है।
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डीएम ने प्रतिनिधियों को बौद्ध सर्किट के तहत आने वाले प्रमुख स्थलों—महापरिनिर्वाण मंदिर, माथा कुंवर मंदिर, रामाभार स्तूप, जापान व श्रीलंका बुद्ध मंदिर, म्यांमार और थाईलैंड मोनास्ट्री, वियतनाम चाइनीज बुद्धिस्ट मोनास्ट्री—का भ्रमण करवाया। उन्होंने राजकीय बौद्ध संग्रहालय में रखे गए महत्वपूर्ण पुरातात्विक अवशेषों की जानकारी भी दी।
उपजिलाधिकारी कसया ने भी प्रतिनिधियों को शिष्टाचार भेंट में बौद्ध आगमन मार्ग, क्षेत्र की सांस्कृतिक विशेषताओं और कुशीनगर के ऐतिहासिक मंदिरों की महत्ता पर विस्तृत चर्चा की।

कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल भारत और इन पांच देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा देना है, बल्कि बौद्ध सांस्कृतिक विरासत के माध्यम से गहरी मैत्री और आपसी समझ को मजबूत करना भी है। प्रतिनिधियों में बौद्ध भिक्षु, ट्रेवल एजेंट्स, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी शामिल थे, जो अपने-अपने देशों में भारत की बौद्ध विरासत को प्रचारित करेंगे।
ऐसे आयोजन न केवल पर्यटन के द्वार खोलते हैं बल्कि भारत की ‘सॉफ्ट डिप्लोमेसी’ को भी बल प्रदान करते हैं। कुशीनगर जैसे धार्मिक-ऐतिहासिक नगर का वैश्विक मंच पर प्रतिनिधित्व भविष्य में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन की संभावनाओं को भी मजबूत करेगा।
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