June 20, 2025

हबल टेलीस्कोप ने ली नई तस्वीर: जहां सितारे जन्म ले रहे हैं

हबल ने ली एक आकाशगंगा की तस्वीर जहां नए सितारे जन्म ले रहे हैं

नई दिल्ली, 8 जून 2025। अंतरिक्ष में लाखों-करोड़ों तारों के बीच एक आकाशगंगा ऐसी भी है जहां इस वक्त नए सितारे जन्म ले रहे हैं—और ये नज़ारा वाकई हैरान कर देने वाला है। नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के हबल टेलीस्कोप ने एक नई तस्वीर जारी की है, जिसमें NGC 685 नाम की एक सर्पिल (spiral) आकाशगंगा दिखाई गई है। यह धरती से लगभग 6.4 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर स्थित है।

यह तस्वीर सिर्फ खूबसूरत नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी बेहद खास है। इसमें नीले रंग के चमकते हुए सितारे और गुलाबी रंग के बादल जैसे हिस्से हैं, जहां नए सितारे बन रहे हैं। इन्हें H II क्षेत्र कहा जाता है। इस अद्भुत नज़ारे ने यह दिखा दिया है कि ब्रह्मांड आज भी “सितारों की फैक्ट्री” जैसा काम कर रहा है।

क्या है इस तस्वीर में?

NGC 685 एक ऐसी आकाशगंगा है जो हमारी मिल्की वे (आकाशगंगा) जैसी ही है, पर आकार में लगभग आधी। इसकी सबसे खास बात है इसका “बार”—एक सीधी पट्टी जैसी संरचना जिसमें सितारे सजे हैं, और जिससे दोनो ओर सर्पिल भुजाएँ निकलती हैं।

इन सर्पिल भुजाओं में नीले रंग के जो चमकते बिंदु दिख रहे हैं, वे हाल ही में बने हुए सितारे हैं। वहीं गुलाबी रंग के हिस्से वो हैं जहां हाइड्रोजन गैस गर्म होकर चमक रही है—यह संकेत है कि वहां नए सितारे बन रहे हैं।

ये सब इतना ज़रूरी क्यों है?

हालाँकि NGC 685 जैसी आकाशगंगाओं में हर साल हमारे सूरज की तुलना में आधे द्रव्यमान जितने ही नए सितारे बनते हैं, लेकिन इससे वैज्ञानिकों को ये समझने में मदद मिलती है कि सितारे कैसे बनते हैं। इस प्रक्रिया को “तारों का जन्म” कहते हैं, और इसके लिए गैस, धूल और गुरुत्वाकर्षण के सही मेल की जरूरत होती है।

इस खास अध्ययन में वैज्ञानिक लगभग 50,000 H II क्षेत्रों और 100,000 स्टार क्लस्टर्स का विश्लेषण कर रहे हैं। हर क्षेत्र में अलग-अलग स्थितियां हैं—जैसे तापमान, गैस की मात्रा और रसायनिक तत्व—जो तारों के बनने की प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं।

कैसे होता है इतना गहरा अध्ययन?

इस तस्वीर को बनाने में सिर्फ हबल टेलीस्कोप का ही नहीं, बल्कि अन्य वेधशालाओं का भी सहयोग लिया गया है:

  • हबल टेलीस्कोप: UV और विजुअल लाइट से युवा सितारों की चमक और गैस की रोशनी दिखाता है।
  • जेम्स वेब टेलीस्कोप (JWST): धूल के बादलों के पीछे छिपे “अभी बन रहे सितारों” को देख सकता है।
  • ALMA रेडियो टेलीस्कोप (चिली): बेहद ठंडी गैसों को देख सकता है, जिनसे आगे चलकर तारे बनते हैं।

इन सब डेटा को मिलाकर वैज्ञानिक पूरी प्रक्रिया को एक कहानी की तरह समझ पाते हैं—काले गैसीय बादलों से लेकर चमकते सितारों तक।

सितारों की कहानी, हमारे लिए क्यों मायने रखती है?

हर तारा जो बनता है, वह किसी न किसी दिन किसी ग्रह को जन्म दे सकता है। हो सकता है वह ग्रह पृथ्वी जैसा हो। इसलिए जब हम सितारों का जन्म देख रहे होते हैं, तो दरअसल हम ब्रह्मांड में जीवन की संभावनाओं की भी एक झलक देख रहे होते हैं।

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