बहराइच। उत्तर प्रदेश के बहराइच जनपद में आदमखोर भेड़िए (आदमखोर भेड़िया बहराइच) की पुष्टि ने वन विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। महसी तहसील क्षेत्र में पिछले कई दिनों से हो रहे बच्चों पर हमलों को लेकर विभाग लगातार इसे सियार का हमला बताता रहा, लेकिन शनिवार को एक मादा भेड़िए के पकड़े जाने के बाद सारे दावे झूठे साबित हुए।
महसी इलाके में भेड़िए के हमलों से अब तक दो मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि दो बच्चे गंभीर रूप से घायल हैं और अस्पताल में इलाज करा रहे हैं। इन घटनाओं से ग्रामीणों में डर और गुस्से का माहौल है, लेकिन वन विभाग शुरुआत से ही सियार को जिम्मेदार ठहराता रहा।
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शनिवार शाम जब सिसैया चूड़ामणि गांव के पास गन्ने के खेतों में एक संदिग्ध वन्यजीव की मौजूदगी की पुष्टि ड्रोन कैमरे से हुई, तब जाकर वन विभाग की संयुक्त टीम सक्रिय हुई। प्रभारी डीएफओ अजीत प्रताप सिंह ने जानकारी दी कि ड्रोन कैमरे से मिली तस्वीरों में स्पष्ट रूप से एक भेड़िया दिखाई दिया।
ड्रोन पायलट सोहन गुप्ता द्वारा भेजी गई तस्वीरें देखते ही स्थिति स्पष्ट हो गई और बहराइच, श्रावस्ती तथा गोंडा वन प्रभाग की संयुक्त टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर एक वयस्क मादा भेड़िए को पकड़ लिया।

इससे पूर्व विधायक सुरेश्वर सिंह लगातार यह कह रहे थे कि हमलों के पीछे भेड़िया है, लेकिन वन विभाग ने उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया। यही नहीं, भेड़िया पकड़े जाने के बाद भी विभाग हमलों को भेड़िए से जोड़ने से परहेज कर रहा है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यदि वन विभाग ने शुरुआत में ही सही दिशा में कार्रवाई की होती, तो दो मासूमों की जान बच सकती थी। अब ग्रामीणों की मांग है कि इस पूरे घटनाक्रम की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो।
वन विभाग के मुताबिक पकड़ा गया भेड़िया वन्य अधिनियम के तहत संरक्षित प्रजाति का है और उसे सुरक्षित स्थान पर भेजा गया है। हालांकि इस कार्रवाई के बावजूद विभाग पर लोगों का भरोसा कमजोर हुआ है।
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