गाजीपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित बीएड द्वितीय सेमेस्टर परीक्षा के अंतिम दिन बीएड परीक्षा नकल रिस्टीकेट का मामला सुर्खियों में है। गाजीपुर के स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 4 जून को आयोजित परीक्षा में कुल 1496 छात्रों में से 1467 उपस्थित रहे। परीक्षा के दौरान कड़ी निगरानी के बावजूद पांच छात्र-छात्राएं नकल करते हुए पकड़े गए और उन्हें तत्काल प्रभाव से रिस्टीकेट कर दिया गया।
प्राचार्य प्रो. (डॉ.) राघवेन्द्र कुमार पांडेय ने बताया कि परीक्षा केंद्र पर प्रॉक्टोरियल बोर्ड, आंतरिक उड़ाका दल और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. श्रवण कुमार शुक्ल की टीम द्वारा कड़ी निगरानी रखी गई थी। इसके बावजूद अनुचित साधनों (यूएफएम) का उपयोग करते हुए नकल करने का प्रयास किया गया, जिसमें पांच परीक्षार्थी पकड़े गए।
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इन सभी पर विश्वविद्यालय के दिशा-निर्देशों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए तत्काल रिस्टीकेट किया गया है। परीक्षा केंद्र पर नकल रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए गए थे, लेकिन नकल की घटनाओं ने प्रशासन को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के लिए विवश कर दिया है।
दूसरे सत्र में एमएससी (एजी) और बीपीई की परीक्षाएं संपन्न हुईं, जिनमें छात्रों की शत-प्रतिशत उपस्थिति दर्ज की गई। इस दौरान बीए, बीएड सहित अन्य परीक्षाओं में कुल 35 परीक्षार्थी नकल करते हुए पकड़े गए, जिनके खिलाफ विश्वविद्यालय द्वारा तय प्रक्रियाओं के अनुसार कार्रवाई की जा रही है।

प्राचार्य प्रो. पांडेय ने स्पष्ट किया कि परीक्षा की निष्पक्षता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और भविष्य में नकल पर नियंत्रण हेतु और भी सख्त प्रबंध किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की सभी परीक्षाएं 4 जून को संपन्न हो गईं और 5 जून से ग्रीष्म अवकाश घोषित कर दिया गया है।
इस घटना ने परीक्षा केंद्र में नकलचियों के बीच भय का माहौल बना दिया है और यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि कड़े निगरानी तंत्र के बावजूद नकल की घटनाएं कैसे घटित हो रही हैं। प्रशासन अब भविष्य की परीक्षाओं के लिए नई निगरानी प्रणाली लागू करने पर विचार कर रहा है।
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