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अयोध्या में एक पंथ तीन काज: राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा, सरयू मैया जन्मोत्सव और योगी का जन्मदिन

अयोध्या राम दरबार प्राण प्रतिष्ठा में सरयू जन्मोत्सव और योगी जन्मदिन की त्रिवेणी

अयोध्या में एक पंथ तीन काज हुए




लखनऊ। 5 जून यानी शुक्रवार को अयोध्या में फिर धूम मची। इसके एक नहीं तीन कारण रहे। पहला नेत्रजा अर्थात सरयू मैया का त्रयोदशी जन्मोत्सव, दूसरा राम मंदिर में राजा राम के दरबार की प्राण प्रतिष्ठा और तीसरा प्रदेश के मुख्यमंत्री और प्रभु श्री राम के परम भक्त योगी आदित्यनाथ का जन्मोत्सव। इन तीन कारणों से पुण्य सलिला सरयू भी आत्म विभोर रही। यानी इस अवसर पर एक पंथ तीन काज हुए। सरयू तीरे राम मंदिर परिसर में हुए इस संगम की अद्भुत लीला देखने के लिए भारी संख्या में लोग जुटे। हालांकि मंदिर प्रबंधन समिति ने भीड़ को देखते हुए लोगों से संयमित होकर आने की अपील की थी ,किंतु आस्था के आगे कोई अपील और कोई रोक काम नहीं कर पायी। तीन जून से पांच जून तक चले इस आयोजन में दुनिया के सबसे बड़े धनी एलोन मस्क के पिता एरोन मस्क भी पहुंचे। और ये सनातन की ताकत ही है।

500 करोड़ से अधिक की लागत से अयोध्या में बने और अभी निर्माणाधीन विश्व प्रसिद्ध राम मंदिर में राजा राम के दरबार की प्राण प्रतिष्ठा के लिए शुक्रवार 5 जून को वृहद कार्यक्रम हुए। तीन जून से पांच जून तक आयोजित इस कार्यक्रम को बहुत प्रचारित नहीं किया गया था, किंतु यह अद्भुत रहा। मंदिर प्रबंधन ने लोगों से अपील की थी कि ये प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम जरूर है किंतु लोगों को सलाह दी जाती है कि वे सिर्फ राम लला के दर्शन करने के लिए आएं ।दरअसल पिछली बार 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में श्री राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर आई भारी भीड़ में भगदड़ हो गई थी। जिसके चलते इस बार सावधानी बरती गई। इस कारण किसी वीआईपी को नहीं बुलाया जा गया। इस मौके पर होने वाले कार्यक्रमों के मुख्य यजमान प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रहे। इस कार्यक्रम को स्थानीय स्तर पर ही करने की कोशिश रही, फिर भी जानकारी के अनुसार इस दूसरे प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु जुटे और प्रशासन भी उसकी व्यवस्था में लगा रहा।

राम मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोगों के अनुसार राम नगरी अयोध्या में बुधवार को सरयू मैया के त्रयोदशी जन्मोत्सव की भी धूम रही।
इसी दिन मुख्यमंत्री योगी का जन्म दिन भी था। इसलिए यह मौका उनके लिए भी खास रहा। खबर है कि मंदिर प्रबंधन ने योगी का जन्म दिन भी यादगार बना दिया। अपने जन्मदिन पर मुख्यमंत्री योगी ने हनुमान गढ़ी के साथ साथ भगवान श्रीराम का भी आशीर्वाद लिया।
इस मौके पर अयोध्या के संत-महंत बोले कि मुख्यमंत्री ने अयोध्या का गौरव लौटाया है। उनके अनुसार योगी सरकार में अयोध्या में नित्य महोत्सव और नित्य सुमंगल होता है। जानकारी के अनुसार 32 हजार करोड़ से अधिक की परियोजनाएं लागू करके अयोध्या को विश्व स्तर पर पहचान दी गई है। इसके चलते संत समाज बहुत प्रसन्न हैं।

सरयू मैया का उद्भव और महत्व


भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में बहने वाली सरयू नदी का विशेष महत्व है। सरयू नदी में ही भगवान राम ने जल समाधि ली थी। रामचरित मानस में कहा गया है कि अयोध्या के उत्तर दिशा में उत्तरवाहिनी सरयू नदी बहती है। एक बार भगवान राम ने लक्ष्मण जी को बताया कि सरयू इतनी पावन है कि यहां सभी तीर्थ दर्शन और स्नान के लिए आते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सरयू नदी में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करता है उसे सभी तीर्थों के दर्शन का फल मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सरयू व शारदा नदी का संगम तो हुआ ही है, सरयू व गंगा का संगम श्री राम के पूर्वज भागीरथ ने करवाया था।

पुराणों के अनुसार, सरयू मैया की उत्पत्ति भगवान विष्णु के नेत्रों से हुई हैं। प्राचीन काल में शंखासुर नामक दैत्य ने वेदों को चुराकर समुद्र में डाल दिया और खुद भी छिप गया। इसके बाद भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर उस दैत्य का वध कर दिया। इसके बाद भगवान विष्णु खुश हो उठे और उनकी आंखों से आंसू टपक पड़े। ब्रह्माजी ने उस प्रेमाश्रु को मानसरोवर में डालकर सुरक्षित कर लिया। इस जल को महा पराक्रमी वैवस्वत मनु ने बाण प्रहार से बाहर निकाला, और यहीं जलधारा सरयू नदी कहलाई। मानस खंड में सरयू को गंगा और गोमती को यमुना नदी का दर्जा दिया गया है। भगवान विष्णु की मानस पुत्री सरयू नदी को धरती पर लाने का श्रेय ब्रह्मर्षि वशिष्ठ को जाता है। भगवान राम ने सरयू नदी में जल समाधि ली थी। इस वजह से भोलेनाथ उनपर बहुत क्रोधित हुए थे और उन्होंने सरयू का श्राप दे दिया कि तुम्हारा जल मंदिर में चढ़ाने और किसी पूजा पाठ में भी प्रयोग नहीं किया जाएगा। इसके बाद सरयू भगवान भोलेनाथ के चरणों में गिर पड़ीं और उनसे बोलने लगी कि प्रभु इसमें मेरा क्या दोष है। यह तो विधि का विधान है। माता सरयू के बहुत विनती करने पर भोलेनाथ ने मां सरयू से कहा कि मैं अपना श्राप तो वापस नहीं ले सकता किन्तु, बस इतना हो सकता है कि तुम्हारे जल में स्नान करने से लोगों के पाप धुल जाएंगे।

~ अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक

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