July 23, 2025

लेकर घर से चलो थैला, प्लास्टिक मुक्त भारत की पहल तेज़

लखनऊ में पर्यावरण मंत्रालय और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की पहल पर प्लास्टिक प्रदूषण नियंत्रण को लेकर एक व्यापक जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर हुए इस आयोजन में पर्यावरण मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने स्वयं मौजूद रहकर अभियान का उद्घाटन किया। उन्होंने प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग से हो रहे नुकसान पर प्रकाश डालते हुए जनता से अपील की कि जब भी बाज़ार जाएं, घर से थैला साथ लेकर चलें और सिंगल यूज़ प्लास्टिक से बचें।

डॉ. सक्सेना ने कहा कि प्लास्टिक की बोतलें और पैक्ड पाउच जल, मृदा और स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं। प्लास्टिक में मौजूद माइक्रोपार्टिकल्स कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इस मौके पर उन्होंने “फ्रीडम फ्राम प्लास्टिक पॉलूशन विथ वन थॉट सलूशन” पुस्तक का विमोचन भी किया, जो जागरूकता का एक ठोस माध्यम साबित होगी।

कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य पर्यावरण अधिकारी प्रवीण कुमार ने मंत्री के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि हमें अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव लाकर पर्यावरण को बड़ी राहत दे सकते हैं। मंत्री डॉ. सक्सेना ने प्लेज वॉल पर हस्ताक्षर कर पर्यावरण बचाने का संदेश दिया और नागरिकों से आग्रह किया कि वे प्लास्टिक से दूरी बनाएं।

बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. रविन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण नियंत्रण न केवल सरकार की, बल्कि प्रत्येक नागरिक की सामूहिक जिम्मेदारी है। ऐसे अभियानों से लोगों में जागरूकता बढ़ेगी और धीरे-धीरे समाज में व्यवहारिक बदलाव भी आएगा।

इस अवसर पर सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के बच्चों ने पेंटिंग और वाद-विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। प्रतियोगिता का विषय था—”प्लास्टिक प्रदूषण के दुष्परिणाम और समाधान”। विजयी छात्रों को स्मृति चिह्न और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इसके साथ ही सभी अतिथियों को एक-एक पौधा और जूट का थैला भेंट किया गया, जो स्वच्छ पर्यावरण के लिए एक प्रेरणादायक संदेश बन गया।

कार्यक्रम में यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव संजीव कुमार सिंह, मुख्य पर्यावरण अधिकारी राजेन्द्र सिंह, रामगोपाल, जीसी आर्या, अभियंता रितेश तिवारी, रितेश कुमार मौर्य और सहायक वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. अलका सिंह, डॉ. आरती गुप्ता समेत विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल प्लास्टिक के खतरे को समझाना था, बल्कि जनता को उसके विकल्पों की ओर प्रोत्साहित करना भी था। मंत्री के स्पष्ट संदेश—”लेकर घर से चलो थैला, न करो देश को मैला”—ने अभियान को एक सरल लेकिन प्रभावशाली नारा प्रदान किया।

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