रायबरेली ज़िले के सूची क्षेत्र स्थित कमासिन धाम में श्रीमद्भागवत कथा कमासिन के पंचम दिवस श्रद्धा और भक्ति का अनोखा संगम देखने को मिला। प्रसिद्ध कथा वाचक परम पूज्य आचार्य प्रद्युम्न जी महाराज के दिव्य वचनों को सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
कथा का मुख्य आकर्षण भगवान बालकृष्ण की बाल लीलाओं का संगीतमय वर्णन रहा। आचार्य प्रद्युम्न जी ने भक्तों को बताया कि किस प्रकार भगवान ने बाल रूप में पूतना का उद्धार किया, शकटासुर जैसे दैत्यों का अंत किया और बृजवासियों को गोकुल से वृंदावन की यात्रा कराई।
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उन्होंने कालिया नाग के दमन, दावानल से बृजवासियों की रक्षा और बंसी की मधुर तान से सबको आनंदित करने की लीलाओं का भी उल्लेख किया। चीरहरण की कथा के माध्यम से उन्होंने गोपियों को आत्मज्ञान का संदेश दिया और गिरिराज गोवर्धन को धारण कर इंद्रदेव के अहंकार का मर्दन किया।

प्रवचन के दौरान आचार्य जी ने कहा—“भक्ति में शक्ति होती है और यही मानव जीवन का परम धर्म है।” कथा के हर प्रसंग पर श्रोता भाव-विभोर होकर भक्ति रस में डूबते रहे।
इस पावन अवसर पर कमासिन धाम में ग्रामीणों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों से भी हजारों श्रद्धालु पहुंचे। आयोजन में शैलेश सिंह, अमित श्रीवास्तव, राजेश श्रीवास्तव, प्रदीप उपाध्याय, पारस नाथ कौशल, मुन्नू मौर्य सहित अनेक श्रद्धालुओं ने सक्रिय भागीदारी निभाई।
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