June 19, 2025

बांग्लादेश में शेख हसीना पर केस तय: उसी कोर्ट में होगी सुनवाई, जिसे खुद शुरू कराया था

बांग्लादेश में शेख हसीना केस: मानवता विरोधी अपराध, हत्या और हिंसा भड़काने के आरोपों में सुनवाई

ढाका/नई दिल्ली। शेख हसीना केस बांग्लादेश में अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है। जिस अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण को उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री पुनर्जीवित किया था, उसी कोर्ट में अब उनके खिलाफ गंभीर आरोपों पर सुनवाई शुरू होगी। बांग्लादेश की एक विशेष अदालत ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री और एक पूर्व पुलिस प्रमुख को 16 जून को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।

इस कार्रवाई की शुरुआत तब हुई, जब बांग्लादेश में हुए छात्र आंदोलन के बाद भारी हिंसा फैली। इस हिंसा में 400 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, जिसके लिए शेख हसीना को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है। अंतरिम सरकार द्वारा की गई अपील के आधार पर कोर्ट ने इन मामलों को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है।

कौन-सी अदालत में होगी सुनवाई?

बांग्लादेश में यह मामला International Crimes Tribunal (ICT) के तहत सुना जाएगा। यह वही न्यायाधिकरण है, जिसे 1973 में युद्ध अपराधियों के मुकदमे के लिए बनाया गया था, लेकिन वर्षों तक निष्क्रिय रहा। 2009 में शेख हसीना ने इस कोर्ट को फिर से सक्रिय किया और इसके अधिकार क्षेत्र को आम नागरिकों और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों तक बढ़ा दिया।

शेख हसीना पर क्या हैं आरोप?

बांग्लादेश के मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम के अनुसार, शेख हसीना के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराध, हत्या, हत्या की कोशिश, अमानवीय कृत्य, और प्रदर्शनकारियों की हत्या में भूमिका जैसे पांच गंभीर आरोप दर्ज किए गए हैं।
विशेष रूप से छात्र अबु सैयद की हत्या, ढाका में 6 निहत्थे लोगों और अशुलिया क्षेत्र में 6 छात्रों को गोली मारने के आदेश का आरोप भी शामिल है।

उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने आवामी लीग के सशस्त्र कार्यकर्ताओं और सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा की जा रही हिंसा को जानबूझकर रोका नहीं। इसके साथ ही भड़काऊ भाषण देने और घातक हथियारों के इस्तेमाल की अनुमति देने का आरोप भी शामिल है।

क्या भारत से होगा शेख हसीना का प्रत्यर्पण?

शेख हसीना अगस्त 2024 में बांग्लादेश से भारत आ गई थीं और तब से शरण में हैं। हालांकि, भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि है, लेकिन यह राजनीतिक मामलों में कम ही लागू की जाती है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इंटरपोल के जरिए भी नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन भारत सरकार की प्रतिक्रिया का इंतज़ार है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत हसीना को राजनीतिक शरण देता है, तो प्रत्यर्पण संभव नहीं हो पाएगा। वहीं, अंतरराष्ट्रीय दबाव और मानवाधिकार संगठनों की निगरानी भी इस मामले को पेचीदा बना रही है।

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