संतकबीरनगर के दुधारा स्थित ए. एच. एग्री. इंटर कॉलेज में चल रहे समर कैंप के 12वें दिन बच्चों ने समर कैंप रचनात्मक गतिविधि के तहत अद्भुत रचनात्मकता और कल्पनाशक्ति का प्रदर्शन किया। रविवार को आयोजित सत्र में बच्चों ने कल्पनाशील कहानी लेखन, डायरी लेखन और भाषाओं को समझने के लिए ‘भाषा वृक्ष’ निर्माण की गतिविधि में भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत नोडल शिक्षक कमरे आलम सिद्दीकी के निर्देशन में हुई, जिसमें बच्चों को एक चित्र दिखाकर उस पर आधारित कहानी गढ़ने को कहा गया। बच्चों ने अपने शब्दों और भावनाओं के माध्यम से चित्र की कल्पनात्मक व्याख्या की, जिससे उनकी मौलिक अभिव्यक्ति की क्षमता उजागर हुई।
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शिक्षक मुहम्मद इश्तियाक अंसारी ने बच्चों को निर्देशित करते हुए चित्र पर भावात्मक और वर्णनात्मक दृष्टिकोण से विचार व्यक्त करने को कहा। बच्चों ने बड़ी रूचि और उत्साह के साथ चित्र का विश्लेषण करते हुए अपनी बात कही, जिससे उनकी रचनात्मकता और सोचने की क्षमता स्पष्ट रूप से सामने आई।
इसके बाद बच्चों ने ‘भाषा वृक्ष’ बनाने की गतिविधि में भाग लिया। इस गतिविधि के माध्यम से उन्होंने भारतीय भाषाओं की उत्पत्ति और विविधता को समझा। बच्चों ने संस्कृत को मूल भाषा मानते हुए पालि, प्राकृत और अपभ्रंश को वृक्ष के तने के रूप में दर्शाया। वहीं खड़ी बोली, ब्रज, अवधी, बुंदेली, बघेली और कन्नौजी को छह प्रमुख शाखाओं के रूप में दिखाया गया। मैथिली, भोजपुरी, हरियाणवी, मेरठी जैसी बोलियों को उन्होंने पत्तियों के रूप में भाषा वृक्ष में सजाया।

इस रचनात्मक गतिविधि ने बच्चों के मन में भाषाई विविधता और उसकी उत्पत्ति की वैज्ञानिक समझ को मजबूत किया। इसी क्रम में ‘कल्पनाशील डायरी’ विषय पर भी चर्चा हुई, जिसमें बच्चों ने अब तक समर कैंप में सीखी गई चीजों और भविष्य में सीखने की इच्छा पर अपने विचार लिखे।
दिन की शुरुआत योग और प्राणायाम से हुई। शिक्षक जुबैर अहमद ने बच्चों को योग के लाभ बताते हुए कहा कि यह न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। बच्चों ने ध्यानपूर्वक योग और श्वास तकनीकों का अभ्यास किया।
इस समर कैंप में मौजूद शिक्षकों – संजय द्विवेदी (प्रधानाचार्य), मुहम्मद इश्तियाक अंसारी, फसीहुद्दीन, अब्दुस्सलाम, मोहम्मद परवेज अख्तर, शाहिद, युनुस, औबेदुल्लाह, ओजैर अहमद, सबीह अहमद, असादुल्लाह, जुनैद अहमद, रफी अहमद – ने बच्चों के प्रदर्शन की सराहना की और कहा कि इस प्रकार की गतिविधियां बच्चों में आत्मविश्वास और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करती हैं।
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