GLOBE

कट्टा मंगवाकर पंडित को फँसाने की साज़िश? अमेठी के दरोगा का ऑडियो वायरल

.

उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां कट्टा ऑडियो वायरल विषय पर विवाद गहराता जा रहा है। मुसाफिरखाना थाने के एक दरोगा का कथित ऑडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह एक मुखबिर से देसी कट्टा मंगवाने की बात करते हुए एक ब्राह्मण युवक को झूठे केस में फंसाने की बात कर रहा है। इस कथित बातचीत ने पुलिस की कार्यप्रणाली और राजनीतिक संरक्षण पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

वायरल ऑडियो में दरोगा और मुखबिर के बीच संवाद है, जिसमें कथित रूप से दरोगा हेम नारायण सिंह, मुखबिर हिमांशु को देसी कट्टा यानी 315 बोर का हथियार लाने को कह रहे हैं। इसके बाद, बातचीत में स्पष्ट रूप से कहा जाता है कि “पंडित को बुक करना है।” इस कथन ने सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हलचल मचा दी है।

यह ऑडियो 7 मई का बताया जा रहा है, जिसकी अब सोशल मीडिया पर व्यापक जांच-पड़ताल हो रही है। हालांकि, ETV भारत ने इस ऑडियो की पुष्टि नहीं की है, लेकिन समाजवादी पार्टी ने इसे लेकर सीधे योगी सरकार पर हमला बोल दिया है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि यह घटना राज्य में जातिवादी राजनीति, सत्ता संरक्षित गुंडाराज और भ्रष्टाचार का जीवंत उदाहरण है।

समाजवादी पार्टी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, “क्या और सबूत चाहिए कि यूपी में जातिवाद और सत्ता संरक्षित आतंकवाद अपने चरम पर है? अब तो ब्राह्मणों को भी निशाना बनाया जा रहा है।” इस बयान से साफ है कि विपक्ष इस मुद्दे को जातीय समीकरणों से जोड़कर आगामी चुनावों में भुनाने की रणनीति में जुट चुका है।

इस बीच, अमेठी के एडिशनल एसपी शैलेंद्र सिंह ने बताया कि वायरल ऑडियो के मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं और जांच के बाद उचित विभागीय कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अभी तक मामले की सत्यता की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन पुलिस विभाग गंभीरता से जांच कर रहा है।

वहीं, स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में भी इस मामले को लेकर आक्रोश है। आम जनता का कहना है कि अगर यह ऑडियो वास्तविक है, तो यह पुलिस की ईमानदारी और निष्पक्षता पर गंभीर धब्बा है। लोगों ने मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और यदि ऑडियो सत्य साबित होता है, तो दोषी दरोगा के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।

उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर यह मामला एक बार फिर बहस के केंद्र में आ गया है। ऐसे मामलों में जहां सत्ता संरक्षण के आरोप लगते हैं, वहां निष्पक्ष जांच की अपेक्षा और बढ़ जाती है। पुलिस विभाग की साख और आम जनता का विश्वास ऐसे मामलों की पारदर्शी कार्रवाई पर ही टिका है।

📲 समाचार सीधे व्हाट्सएप पर पाएं
देश-दुनिया की राजनीति, विकास और सामाजिक विषयों पर ताज़ा अपडेट्स के लिए हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें।
👇
🔗 WhatsApp Group Join Link

Exit mobile version