June 20, 2025

3.26 अरब साल पहले गिरे उल्का पिंड ने जीवन को दी नई दिशा?

3.26 अरब साल पुराना उल्का पिंड जीवन विकास में सहायक, फॉस्फोरस से भरे समुद्र ने बढ़ाया जीवन

धरती पर 3.26 अरब साल पहले एक विशाल उल्का पिंड गिरा था, जो आकार में उस उल्का पिंड से भी 200 गुना बड़ा था जिसने डायनासोर का अंत किया था। हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, यह उल्का पिंड जीवन के लिए एक “विशाल उर्वरक बम” की तरह साबित हुआ। इससे पृथ्वी की शुरुआती सतह पर फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व फैले और समुद्री जल में जबरदस्त हलचल मची, जिससे सूक्ष्मजीवों के लिए जीवन के अनुकूल वातावरण बना। इस रिसर्च का नेतृत्व हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की जियोलॉजिस्ट नादिया ड्रैबन ने किया है।

यह घटना पालेओआर्कियन युग के दौरान हुई, जब धरती का रूप आज जैसा बिल्कुल नहीं था। तब विशाल महासागर थे, बहुत कम ज़मीन थी और वातावरण में ऑक्सीजन नहीं थी। इस टकराव से चट्टानें वाष्पित हो गईं, पूरी पृथ्वी पर धूल का गुबार छा गया और समुद्र की ऊपरी परतें खौलने लगीं। इतना ही नहीं, सुनामी जैसी विशाल लहरें भी उठीं। बावजूद इसके, वैज्ञानिकों ने पाया कि जीवन ने इस तबाही से बहुत जल्दी उबर लिया।

इस टक्कर के बाद दक्षिण अफ्रीका की “बार्बरटन ग्रीनस्टोन बेल्ट” की चट्टानों में सूक्ष्मजीवों की गतिविधियों के प्रमाण मिले हैं। इसका मतलब है कि जीवन इस आपदा से न केवल बचा, बल्कि और मजबूत होकर उभरा। वैज्ञानिकों ने बताया कि वह उल्का पिंड “कार्बोनेशियस कोंड्राइट” वर्ग का था, जिसमें कार्बन और जीवन के लिए ज़रूरी जैविक अणु पाए जाते हैं।

जब यह उल्का पृथ्वी से टकराया, तब इससे बड़ी मात्रा में फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व निकले। फॉस्फोरस डीएनए और एटीपी जैसे जरूरी जैविक घटकों के निर्माण में अहम होता है। यही नहीं, उल्का की टक्कर से समुद्र की गहराई में मौजूद आयरनयुक्त पानी ऊपर की सतह पर आ गया, जिससे समुद्री जीवन के लिए पोषण और भी बढ़ गया। इस कारण जीवन को पनपने के लिए नई ऊर्जा और संसाधन मिले।

डॉ. नादिया ड्रैबन कहती हैं, “इन्हें आप जीवन के लिए विशाल उर्वरक बम समझिए।” आमतौर पर उल्का पिंडों को विनाश से जोड़ा जाता है, लेकिन यह अध्ययन बताता है कि धरती के शुरुआती दिनों में यही घटनाएं जीवन के विकास का कारण भी बन सकती थीं। सरल और लचीले सूक्ष्मजीवों ने इन कठिन परिस्थितियों में न केवल खुद को टिकाए रखा, बल्कि तेजी से विकसित भी हुए।

यह शोध वैज्ञानिकों की सोच में एक बड़ा बदलाव लाता है। यह दर्शाता है कि सभी विनाशकारी घटनाएं जीवन के लिए घातक नहीं होतीं। कुछ स्थितियों में यही घटनाएं नए जीवन की शुरुआत का कारण बन सकती हैं। इस अध्ययन से हमें यह भी संकेत मिलता है कि ऐसी परिस्थितियां अन्य ग्रहों पर भी जीवन के अनुकूल हो सकती हैं — यह खगोलजीवविज्ञान (astrobiology) के क्षेत्र के लिए भी एक महत्वपूर्ण संकेत है।

📲 समाचार सीधे व्हाट्सएप पर पाएं
देश-दुनिया की राजनीति, विकास और सामाजिक विषयों पर ताज़ा अपडेट्स के लिए हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें।
👇
🔗 WhatsApp Group Join Link

Related Post