अमेरिका से भारत पैसा भेजना महंगा होने जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पेश किए गए ‘बिग प्रयोरिटी बिल’ में रेमिटेंस यानी विदेश भेजे जाने वाले धन पर 5% टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा गया है। इस कदम से अमेरिका में रहने वाले चार करोड़ से अधिक अप्रवासी, जिनमें ग्रीन कार्ड और H1B वीजा धारक शामिल हैं, सीधे तौर पर प्रभावित होंगे।
यह प्रस्तावित टैक्स अमेरिकी नागरिकों पर लागू नहीं होगा, लेकिन भारत सहित उन देशों के लोगों पर असर डालेगा, जो अमेरिका से धन प्राप्त करते हैं। आरबीआई के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में भारत को कुल 118.7 अरब डॉलर रेमिटेंस प्राप्त हुआ, जिसमें से 32.9 अरब डॉलर अमेरिका से आए। यदि 5% टैक्स लगाया गया, तो यह राशि 1.64 अरब डॉलर यानी करीब ₹13,300 करोड़ तक हो सकती है।
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रेमिटेंस का सबसे बड़ा उपयोग भारत में परिवार के खर्च, शिक्षा, चिकित्सा, और निवेश में होता है। ऐसे में इस टैक्स का असर सामाजिक-आर्थिक स्तर पर भी देखने को मिल सकता है। ट्रंप प्रशासन का यह कदम ‘बिग प्रयोरिटी बिल’ के तहत प्रस्तावित किया गया है और जून-जुलाई 2025 तक लागू हो सकता है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा रेमिटेंस प्राप्त करने वाला देश है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार 2024 में भारत ने 129 अरब डॉलर रेमिटेंस प्राप्त किए हैं। इसके बाद मेक्सिको (68 अरब डॉलर), चीन (48 अरब डॉलर), फिलिपींस (40 अरब डॉलर) और पाकिस्तान (33 अरब डॉलर) हैं।

भारत में भेजे गए कुल रेमिटेंस में अमेरिका की हिस्सेदारी 2020-21 में 23.4% थी, जो 2023-24 में बढ़कर 27.7% हो गई है। इसका मतलब है कि हर चौथा डॉलर भारत में अमेरिका से आता है। ऐसे में यह टैक्स अप्रवासी भारतीयों की जेब पर सीधा असर डालेगा।
वैश्विक नीतियों का मकसद रेमिटेंस पर लागत घटाना रहा है, लेकिन यह नया प्रस्ताव इस प्रयास के विपरीत है। नीति विशेषज्ञों का मानना है कि इससे प्रवासी वैकल्पिक रास्ते अपना सकते हैं, जिससे वित्तीय पारदर्शिता पर असर पड़ सकता है।